Friday, 8 March 2013

महिला दिवस...एक अर्थ पूर्ण दिवस!

अगर महिलाएं समझ सकें...

...आज महिला दिवस पर महिलाएं और पुरुष सभी अपने विचार व्यक्त कर रहे है!...महिलाओं की प्रगति कैसे हो, महिलाओं को समाज में सम्माननीय स्थान कैसे प्राप्त हो, महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकार कौनसे कदम उठाएं और इस दिशामें महिलाओं को स्वयं को क्या करना चाहिए.....यही मुद्दे चर्चा का विषय बने हुए है!

...अभी अभी मैंने एक महिला लेखिका द्वारा लिखा हुआ लेख पढ़ा!...पूरे लेख में पुरुषों की जितनी बुराइयां हो सकती है, वह की गई है!...पत्नियों पर पति कितने अत्याचार करतें है, मानसिक और शारीरिक कितनी प्रताडना करतें है..यह सब विस्तार पूर्वक अच्छे ढंग से दर्शाया गया है...अगर इस लेख को ..सिर्फ एक लेख के ही नजरिए से पढ़ा जाए तो इसे बेहतरीन. उम्दा, उत्तम प्रस्तुति करण ...इत्यादि शब्दों से नवाजा जाना चाहिए!...लेकिन यथार्थ के नाम पर यह बहुत ही कमजोर है!...यह लेख पढ़ कर लगता है कि पुरुषों का मुख्य काम सिर्फ स्त्रियों को अपमानित करना, दबा कर रखना, उनकी अवहेलना करना और उन से मुफ्त में घर के काम करवाना ही है!..

...क्या हमारे समाज का पुरुष वर्ग ऐसा ही है?...पिता, भाई, पति..सभी स्वार्थी है और स्त्रियों को सिर्फ भोग्या समझ कर उनके साथ व्यवहार करतें है?...उनके दिल में लाड, प्यार, मोहोब्बत जैसी नाजुक भावनाओं का अंश मात्र नहीं है?...हां!...आए दिन स्त्रियों पर होने वाले बलात्कार की ख़बरें दिल दहला देने  वाली होती है...निर्भया के साथ दुराचार करके उसके प्राण हरण करने वाले नर-पिशाचों को फांसी की सजा मिलनी ही चाहिए...यह भी घिनौना सच है!...लेकिन ऐसे कुकर्म करने वाले व्यक्ति क्या पुरुष कहलवाने के लायक होते है?....उन्हें तो जानवर या नर-पिशाच कह कर ही संबोधित करना चाहिए!...वे अपराधी होते है...सजाके लायक होते है!...पुरुषोचित गुण उनके अंदर कहाँ मौजूद होते है?...उनको ले कर समस्त पुरुष जाति पर लांछन लगाना ठीक नहीं है!

...पति-पत्नी में झगड़े और मन-मुटाव होते रहते है....सामंजस्य भी स्थापित हो जाता है!...पहले कुछ दशकों के मुकाबले अब परिस्थिति में बदलाव आ चुका है!..स्त्री शिक्षा को समाज की तरफ से और सरकार की तरफ से अधिक महत्व दिया जा रहा है!...स्त्रियों के लिए विविध कार्यक्षेत्र भी खुले हुए है!....एक सुरक्षा के मामले को ले कर समाज और सरकार बराबर चिंतित है...इस समस्या का हल भी जल्दी ही ढूंढा जाएगा ऐसी उम्मीद करना कोई ज्यादती नहीं है!

..ज़रा गौर करें!...बहाद्दूरी,हिम्मत, धैर्य, उदारता, मन की स्थिरता, मन की कठोरता ..ये सभी गुण एक अच्छे पुरुष में मौजूद होते है..क्या इन गुणों का अनुकरण करने की शिक्षा स्त्रियों को नहीं दी जानी चाहिए?

अपना ही उदाहरण पेश करती हूँ!....एक समय मेरे जीवन में ऐसा आया था...मैं अवसाद से घिर गई थी...एक राजकीय पार्टी की कन्वीनर के तौर पर नियुक्त थी...उस समय स्व.चिमनभाई पटेल( बाद में गुजरात के मुख्य मंत्री निर्वाचित हुए थे!) से मिलना होता रहता था!...उन्होंने मुझे एक दिन सलाह दी कि" अरुणा,तुम अपने आप को स्त्री मत समझो!..पुरुष समझो!...तुमारी समस्या का यही निदान है!"...मैंने उनकी सलाह सिर आँखों पर उठा ली ...और अपनी मानसिकता को बदल डाला...मेरे अंदर  एक नई जागृति आ गई!...तब मुझे लगा कि जिसे बहुत बड़ी समस्या मानकर मैं हैरान-परेशान थी, असल में मेरी कोई समस्या थी ही नहीं!

....महिला दिवस पर मैं यही कहना चाहूंगी कि अपराधी वर्ग को ले कर,पुरुषों को बुरा चित्रित करना गलत है...स्त्री भी पुरुषोचित गुणों का अपने अंदर विकास करके बहुत सी समस्याओं से समाधान पा सकती है!

Friday, 27 April 2012

संसद सदस्य?..आप भी बन सकतें है!...(व्यंग्य)

राज्य-सभा के नजारें....

सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट के मैदान में जितने भी रन बनाएं, जितनी भी पारियां खेली, जितने भी छक्के या चौके लगाएं....सब कुछ देश के लिए किया!...इस देश-सेवा के बदले में उन्हें बहुतसा धन मिला, कारें मिली, मोटर साइकिलें मिली, वाह-वाही मिली, एडज मिली..एडज के ऐवज में फिर कंपनियों की तरफ से धन मिला...लेकिन अब तक वे राज्य-सभा के संसद नहीं थे....तो अब बिना चुनाव लड़े उन्हें संसद सदस्य की कुर्सी ऑफर की गई....जय हो कोंग्रेस....बहुत अच्छा लगा!


...होकी, फुटबॉल, टेनिस, चेस, ओलिम्पिक दौड....सभी जगहों पर देश-सेवक काम में लगे हुए है....बस!..देश के बाहर जिसे लोग पहचानने लग गए....वह देश-सेवा की योग्यता की परीक्षा में पास हो गया और संसद सदस्य की कुर्सी शोभायमान करने के लायक हो गया समझों!

...रेखा जी को भी राज्य-सभा की  संसदगिरी ऑफर हुई!....फिल्मों में कई तरह के रोल कर के इन्होनें  भी देश-सेवा की....विदेशी लोग इन्हें पहचानने लग गए....एक्टिंग इन्होने फोगट में नहीं की...तो क्या हुआ?...ऑफिस में काम करने वाले कर्मचारी क्या  तनख्वाह नहीं लेते?....

.....कुछ लोगों ने सौरव गांगुली, कपिल देव....वगैरें के नाम सुझाएँ है....लिस्ट बहुत लंबी है...यह सभी बिना चुनाव लड़े, मनोनीत हो कर.... संसद सदस्य बनने की योग्यता रखते है... सभी देश-सेवक ही तो है!...राखी सावंत,मल्लिका शेरावत, मलाइका अरोरा खान जैसी आइटम डांस करने वाली सुंदरियाँ.... करीना कपूर, कैटरीना कैफ, विद्या बालान जैसी मंजी हुई नायिकाएं...यह सभी देश से बाहर भी पहचानी जाती है ...तो देश-सेवा ही तो कर रही है!....'खान'...सरनेम वाले नायकों की लंबी लिस्ट है....कुमारों की भरमार है....और एकता कपूर, चेतन भगत जैसे परदे के पीछे रहकर देश-सेवा में ओत-प्रोत रहने वाले भी अनगिनत है!

...तो अब चुनावी बिगुल बजा कर देश के आम आदमी की नींद खराब करने की जरुरत नहीं है!...हमारा देश, देश-सेवकों से भरा पड़ा है.....इनके हाथ में देश का स्टीयरिंग थमा कर आम आदमी चैन की बंसी बजा सकता है!....चुनावों में खर्च होने वाले पैसे बचा कर रोटी खा सकता है!....देश की गाड़ी देश के सेवक अन्दाधुन्द तरीके से चलाते ही रहेंगे!...उन पर भरोसा कर के आम आदमी भी देश-सेवा करने का पुण्य कमा सकता है!

...अगर ब्लॉग लिखते लिखते, आपको भी विदेशी लोग पहचानने लग गए....और कोंग्रेस जैसी देश-सेवी पार्टी की नजर आप पर भी पड़ गई.....तो क्या बात है!....आप भी देश-सेवक की लिस्ट में भर्ती हो गए....आप भी ठाठ से राज्य-सभाके मनोनीत सदस्य बन कर सचिन तेंदुलकर की तरह चमकदार दांतों की मुस्कुराहट वाली फोटो खिंचवा सकतें है!...कोई नहीं पूछेगा कि आप 'पॉलिटिक्स' का...क, ख,ग....भी जानते है या नहीं! 

Tuesday, 28 February 2012

नेहरू खानदान की असलियत जान कर.....

नेहरू खानदान की असलियत जान कर....

माननीय दिव्याजी!

नेहरू खानदान की असलियत आप के ब्लॉग पर पढी!...कोमेंट लिखने के लिए कोई प्रबंध नहीं पाया गया...इसी वजह से आपकी पोस्ट यहाँ दे रही हूँ...अगर आपको कोई एतराज हो तो बताएं...मैं तुरंत इसे डिलीट कर दूंगी!

...यहाँ दी गई जानकारी या खोजबीन श्री दिनेशचन्द्र मिश्राजी की है और वे अपने ब्लॉग पर इसे क्रमश: प्रस्तुत कर रहे है...मतलब कि आपने उनकी पोस्ट अपने ब्लॉग पर दी है....जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है!

.....खोज बीन में यही पता चला है कि नेहरू खानदान हिन्दू और मुसलमान...दोनों धर्मों का मिलन है !...यहाँ नेहरू के सौतेले भाई शेख अब्दुल्ला का उल्लेख नहीं हुआ है!...जो जवाहरलाल नेहरू के पिता...मोतीलाल नेहरू की दूसरी मुस्लिम पत्नी की कोख से जन्मे बेटे थे!उन्होंने मुस्लिम धर्म स्वीकार किया था! ....यह खोज भी जगजाहिर हो चुकी है!...लेकिन नेहरू परिवार किसी अपराधिक मामले में फंसा हुआ कभी पाया नहीं गया!

....आपने इस पोस्ट में नेहरू परिवार की बहुत सी अन्य गोपनीय बातों पर से भी पर्दा उठाया है....लेकिन क्या इससे नेहरू-गांधी परिवार के बारे में जो जनता की सोच है....उसमें फर्क आ सकता है?

.....हाँ! वर्त्तमान राजनीति में यह परिवार,सत्ता की मजबूत बागडोर हाथ में होते हुए भी....जनता के हित के लिए कुछ नहीं कर रहा और आश्वासनों के सिवाय कुछ नहीं दे रहा ....यही सत्य हकीकत है!...इसी मुद्दे को ले कर जनता इस परिवार से मुंह मोड़ ले ....यही हो सकता है!

आपके पोस्ट की लिंक मैं यहाँ दे रही हूँ....http://zealzen.blogspot.in/2012/02/blog-post_29.html

....अति महत्वपूर्ण जानकारी...आभार!
-अरुणा कपूर.

Monday, 20 February 2012

सन-ग्लासेस पहनिएँ...स्टाइलिश नजर आइएं,व्यक्तित्व निखारिएँ...

सन-ग्लासेस् पहनिएँ...स्टाइलिश नजर आइएं, व्यक्तित्व निखारिएँ....

सन-ग्लासेस से मै बचपन से ही आकर्षित हूँ....बचपन में दादा-दादी के साथ मै गुजरात के जादर के मेले में घुमने जाया करती थी तब...बैलून या गुड्डा-गुडिया बेचने वालों के पास बाद में जाती थी; सब से पहले तो रंग-बिरंगी चश्में ले कर बैठे हुए दुकानदार के पास ही भाग कर पहुँच जाती थी...वहांसे तीन-चार सुन्दर से रंग-बिरंगी चश्में खरीदने के बाद ही दूसरी चीजों पर मेरी नजर ठहरती थी!... खैर! बचपन बीत गया और उम्र के पचपन का पड़ाव भी मैंने पार कर लिया...लेकिन सन-ग्लासेस अब भी मुझे आकर्षित करते है!...जब मै सन-ग्लासेस पहन कर किसी पार्टी में जाती हूँ या बाजार में शोपिंग करने जाती हूँ...तब मेरी स्टाइल और व्यक्तित्व में निखार इन्ही की वजह से आता है!....क्यों कि मै अपने आप में एक अलग तरह का कॉन्फिडेन्स महसूस करती हूँ!....प्रोफाइल में मेरी फोटो देख सकते है!...
....जब मेरी नजर Ray-Ban RB 2140 पर पडी ( ऊपर फोटो देखिएँ)...
....तो लगा कि यह सन-ग्लासेस मेरे लिए अनुकूल है!...इससे मेरे स्टाइल में ज्यादा बढोतरी हो सकती है!...जाहिर है कॉन्फिडेन्स में भी और ज्यादा बढोतरी हो सकती है!....तो यह मेरी पसंद पर खरे उतरने वाले सन-ग्लासेस है!


Wow!…..मुझे यह सन-ग्लासेस भी पसंद आए है....यह ब्राउन शेड लिए हुए है...और इनका फ्रेम भी मेरे चेहरे के अनुकूल है!...यह शायद लाइट वेटेड है!....इन्हें पहन कर बहुत बढ़िया और स्टाइलिश लुक मुझे मिल सकता है! व्यक्तित्व में और निखार आ सकता है और कॉन्फिडेन्स में और ज्यादा बढोतरी हो सकती है!.... इनकी पहचान भी मै यहाँ दे रही हूँ.....
यह है ......Ray-Ban RB 8301.....
वाह क्या बात है!.....मेरी पसंद के तो यह दो स्टाइलिश सन-ग्लासेस है!....वैसे मै तो सभी से कहूंगी के अपनी अपनी पसंद के सन-ग्लासेस को जल्दी जल्दी अपने कब्जे में कीजिए....देर किस बात की? ....Go for 'My Sunglasses, My Style'


This entry is a part of the contest at BlogAdda.com brought to you by GKB Optical Sunglasses

Friday, 10 February 2012

मेरी पुस्तक ऑनलाइन उपलब्ध है...फ्लिपकार्ट वेबसाइट पर!

मेरी पुस्तक ऑनलाइन उपलब्ध है... फ्लिपकार्ट वेबसाइट पर!

....अभी अभी मुझे हिन्दयुग्म के संपादक श्री। शैलेश भारतवासी की तरफ से यह शुभ-सन्देश प्राप्त हुआ है!
...धन्यवाद शैलेश जी!

...मै उन सभी का यहाँ फिर से धन्यवाद करना चाहूंगी जिन्होंने मेरे उपन्यास ' उनकी नजर है...हम पर !' की समीक्षा,प्रशंसा एवं आलोचना भी की है!...इस उपन्यास को मंगवाने के मेरे ई- मेल पर कई मैसेज भी आए और मैंने उन्हें श्री.शैलेश जी से संपर्क करने के लिए कहा था!

शैलेश जी लिखते है....

आदरणीया अरुणा जी,
यह बताते हुए हमें अत्यंत हर्ष हो रहा है कि आपकी पुस्तक, किताबों को ऑनलाइन बेचने वाली कंपनी प्लिपकार्ट की वेबसाइट पर विक्रय के लिए उपलब्ध करा दी गयी हैं। यह वेबसाइट किताबों को क्रेता तक 3-4 दिनों में पहुँचा भी देती है।
आपकी पुस्तक का flipkart लिंक-
उनकी नजर है हम पर-
http://www.flipkart.com/books/8191038528?_l=b3JUm9Vsc9d2jQzOHTXUhw--&_r=q0z9FKSAm15_zCGhZRG0TA--&ref=a39c3bbc-1256-437a-90c2-c366175e7b24

प्लिपकार्ट पर आपके नाम का पेज-
http://www.flipkart.com/author/aruna-kapoor
हिंद-युग्म की सभी किताबों का संक्षिप्त विवरण- http://www.flipkart.com/search-books/hind+yugm
आप इन लिंकों को अपने प्रसंशकों को भेजकर उन्हें यह सूचित कर सकते हैं कि यदि वे इस पुस्तक को भारत में कहीं भी मँगाना चाहें तो मँगा सकते हैं। अब उन्हें इसके लिए किसी पुस्तक बेचने वाली दुकान तक जाने की जरूरत नहीं है।
आप अपने फ्लिपकार्ट पेज को फेसबुक पर भी शेयर कर सकती हैं। इन लिंकों को अपने ब्लॉग पर लगा सकती हैं।
धन्यवाद।
निवेदक-शैलेश भारतवासी

Saturday, 10 September 2011

हाय रे दोस्ती!...(व्यंग्य)



'दोस्ती ' टेम्पररी चीज होती है! ( व्यंग्य )

हमारी समझ में जो आया है वह यही है कि भैया! दोस्ती एक टेम्पररी चीज होती है !...

....अब आप फ़िल्मी कहानियों में उतर कर देखो तो दोस्त और दोस्ती को इतनी गहराई तक ले जाते है कि पूछो मत!...फ़िल्मी दोस्त और उनकी दोस्ती के कद को देखते हुए हम गैर फ़िल्मी लोग, अपने आप को बौनो की कैटेगरी में डालने के लिए मजबूर हो जाते है!...लगता है हम अपने दोस्त के लिए कुछ भी तो नहीं कर रहे ....कैसे मनुष्य है हम!...हम तो मनुष्य कहलवाने के भी लायक नहीं है!....और हमारा दोस्त भी यही सोचता है कि 'मै कितना स्वार्थी हूँ...मैंने तो दोस्ती के नाम को डुबो कर ...नहीं यार!...कलंकित करके रख दिया!'

...अरे फ़िल्मी कहानियों में तो एक दोस्त के लिए दूसरा दोस्त....अपनी प्रेमिका, कोठी, बंगलें, कारें और माँ-बाप तक को किनारे करने में देर नहीं लगाता!....जान तो बहुत ही सस्ती चीज होती है!....उसे भी दोस्ती के नाम कर दिया जाता है...लेकिन हम अपनी बात करें तो....हमारे लिए तो भैया यही सब चीजें प्रेमिका वगैरा वगैरा ...जी जान से प्यारी होती है!...दोस्ती के नाम हम इनमें से किसीका भी त्याग नहीं कर सकते!...दोस्ती के नाम पर हम बस! कभी कभार दोस्त के साथ चाय-पानी गटक सकते है,फिल्म देखने जा सकते है या फोन और इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकते है!...कुछ यारदोस्त लोग कपडे या पैसे उधार लेते या देते है....लेकिन उधारी के चक्कर में जब चीज वापस करने की नौबत आती है तो दोस्ती के दूध का दही बनते देर नहीं लगती!

...याद आया! अपने महान बीग बी..अमिताभ बच्चन जी...और महान राजकीय हस्ती अमर सिंह जी भी दोस्ती की नौका में कुछ ही समय पहले सवार थे...अमर सिंह जी ने तो बच्चन जी को बड़े भाई का दरज्जा दे रखा था!..दोस्ती की धूम मची हुई थी!...जहाँ भी जाते थे ...साथ साथ जाते थे...अमर सिंह जी का मुंबई का एड्रेस...बच्चन जी का घर' जलसा' या 'प्रतीक्षा' था!...सभी को याद होगा कि अमर सिंह जी ने कुछ ही साल पहले बच्चन जी के बेटे को बर्थ डे गिफ्ट के तौर पर एक बहुत महंगी कार भी दी थी...भैया! इस बात का बवंडर उठना चाहिए तो नहीं था ...लेकिन उठा था!...अब कार तो कोई भी हो...महंगी तो होगी ही...लेकिन लोगो को कहने, बोलने,लिखने या फोटोएँ दिखाने से कौन रोक सकता है? ...दोस्त्ती को लोग समझे तो कुछ बात बने!....तो उस कार की इतनी एडवरटाइज हो गई कि पूछो मत!


...लेकिन समय ने पलटा खाया....ऐसा हुआ कि इन दोनों दिग्गजों की दोस्ती का बल्ब हमने टूटते हुए देखा...बहुत कुछ हुआ ! आखरी खबर के मुताबिक़ अमर सिंह जी दिल्ली की तिहाड जेल में पहुचाएं गए...वे बीमार भी थे ...उनके बहुत से करीबी उनसे मिलने तिहाड़ जेल पहुँच भी गए ...लेकिन ऊं हूँ!..बच्चन जी नहीं गए...अब दोस्ती के बारे में हम और क्या कह सकते है?

...और भी बहुतसी फ़िल्मी हस्तियाँ और राजनीतिज्ञों के बारे में ऐसा ही देखने और सुनने को मिला....जो समय की नजाकत पहचान कर कभी दोस्त तो कभी दुश्मन के किरदार में नजर आते है!....तब हम इस नतीजे पर पहुंचें कि आम आदमी भी गया- गुजरा नहीं है!....वह भी दिग्गजों वाली हैसियत रखता है!दोस्ती की कहानियाँ सिर्फ नाटक या फिल्मों की शोभा बढाने के लिए ही होती है!...बहुत सी अन्य चीज-वस्तुओं की तरह दोस्ती भी एक टेम्पररी चीज होती है!

( फोटो गुग्गल से ली हुई है!)

Wednesday, 11 May 2011

राम को 'ओरामा!' और शाम को 'ओशामा'..क्यों न कहे?






ओसामा, ओबामा या सुदामा...


सभी में समाया 'आमा'!

...एक जगराते में..याने कि जागरण में...हमारा जाना हुआ!....जगराता 'माता' का था...लेकिन जैसे कि आप सभी जानते है, सिर्फ 'माता' का नाम या भजनों से काम नहीं चलता!...जगराते में शिवजी, कृष्ण कन्हैया, राधा, राम-लक्ष्मण-सीता और अनेक देवी-देवताओं को एंट्री दी जाती है!..अब तो श्री सत्य साईबाबा भी शामिल हो चुके है....लगता है आगामी कुछ सालों में महात्मा गांधी और अंबेडकर भी शिरकत करें!

...तो हम जागरण याने कि जगराते का आनंद लूट रहे थे!....एक के बाद एक देवी-देवताओं का आगमन होता रहा...जयजय-कार होती रही!...वातावरण भजनों के रस से सराबोर होता रहा!....ऐसे में हमारी फिल्में कमाल दिखाती है...फ़िल्मी गानों की धुनों पर श्रोतागण भजनों का खूब आनंद गटकते है!....जागरण में राम-सीता के वनवास का वर्णन किया जा रहा था....राम सीता माता से अपने प्यार का इजहार कर रहे थे...महाराज श्री ने भजन छेड़ दिया और श्रोता गण प्रेम-रस में डूब गए...राम जी , जानकी मैया से कह रहे थे....

" सौ साल पहले मुझे तुमसे प्यार था, मुझे तुमसे प्यार था...आज भी है और कल भी रहेगा!..वाह , वाह...श्रोता गण मंत्र-मुग्ध हो रहा था..तालिया बजा रहा था!...राम-सीता के अलौकिक प्रेम की कहानी को गले से नीचे उतार रहा था..कुछ श्रोता महाराज श्री के साथ गा भी रहे थे...

...इसके बाद...संत मीरा बाई के एक भजन को चांस दिया गया...श्रोता गण झुमने लगा!...'राधा का भी शाम हो तो मीरा का भी शाम ....अब मीरा और राधा के बिना श्याम तो अधूरे ही माने जाते है...सो कृष्ण कन्हैया की कहानी आलापी गई!...वाह, वाह!...राधा का कृष्ण-प्रेम क्या कहने!..अब बारी आई कृष्ण और सुदामा की!

...कहानी शुरू हुई उनके बचपन के प्यार की!...करते करते जवानी तक पहुंच गई!...समय ने करवट बदली कृष्ण द्वारकाधीश बन गए!,,, उन्हें राजगद्दी मिल गई! ...लेकिन सुदामा के समय ने करवट बदली ही नहीं!..वह पहले भी फटेहाल थे और शादी के बाद, बच्चे पैदा होने के बाद भी ....बेचारे गरीबी से झुझते रह गए!...अब भाग्य पर किसका बस चलता है, जो सुदामा का चलेगा?

...लेकिन सुदामा ने हिम्मत हारी नहीं ..वे अपने बचपन के सखा 'कृष्ण ' से मिलने द्वारकापुरी चले गए... हो सकता है ,बचपन का प्रेम कोई कारनामा कर दिखाए...

...और महाराज श्री ने एक फ़िल्मी कव्वाली की धुन का इस्तेमाल करते हुए भजन आरम्भ किया..." अरे पहरेदारों !...कन्हैयासे कह दो ...सुदामा महल के करीब आ गया है!...लोग तालियाँ बजा रहे है...महाराज श्री का गाने में भी साथ दे रहे है...अब हमने भी गाने में साथ देना शुरू कर दिया.....'सुदामा महल के करीब आ गया है!'

...रात गहरा रही थी और हमें नींद ने धर दबोचा ...अब सपने में हमें एक सुंदर सा महल दिखाई दे रहा था...चारो और लहलहाते खेत, हरेभरे पेड़ ...अहाहा..हा ...क्या सीन था! ...शायद यह पाकिस्तान के एबटाबाद का इलाका था...महल ओसामा का था ...महल पर एक हैलिकोप्टर मंडरा रहा था !...हैलिकोप्टर अमेरिका का ही होने का अंदेशा भी हमें हो गया ....इधर महाराज श्री गा रहे थे...सुदामा महल के करीब आ गया है...अब हमारे मुंहसे छूटते ही निकल गया...

"...अरे पाक वालों !..ओसामा से कह दो...ओ,ओ.....ओबामा महल के करीब आ गया है!"
..और जमा लोग भी नींद की ही गिरफ्त में थे ...वे भी हमारा साथ देने लग गए...'ओबामा महल के करीब आ गया है!'.....'ओबामा महल के करीब आ गया है!'

...और महाराज श्री भजन गाना छोड़ कर माइक पर चिल्लाए..." ये क्या तमाशा हो रहा है?...ये ओसामा ...ये ओबामा बीच में कहाँ से टपक पड़े?..."

और सोए हुए लोग जाग गए...हम भी जाग गए...अब भजन फिर पूर्ववत गाया जाने लगा...कन्हैया और सुदामा की जयजय-कार हुई...

...ठीक इस के दो दिन बाद...जगराते में देखा गया हमारा सपना सच हो गया और ओबामा ने ओसामा को धर दबोचा!....

...अब हम 'हे राम' को ...ओ रामा! कहेंगे ...और 'हे शाम' को ...ओ शामा! कहेंगे! किसी को हर्ज है?....अगर दूसरे ब्लोगर साथियों को सपने आते है और वे सच हो जाते है..तो हम भला पीछे क्यों रहेंगे...जय हो...ओरामा!...जय हो ओशामा!
( फोटो गूगल से ली हुई है!)