तेरे अंगने में...हमारा क्या काम है?
आज हम बात कर रहे है बच्चनजी की... वही जाने माने अमिताभ बच्चन महानायक, बिग बी, मुकद्दर के सिकंदर औए एक जमाने में तो इन्हे 'सरकारी हीरो' भी कहा जाता था..... क्यों कि इनकी जड़ें पं. जवाहर लाल नेहरू और श्रीमती इंदिरा गांधी के साथ जुड़ी हुई थी...आज ये महानायक ख़ुद ही एक असंख्य जड़ों वाला एक वटवृक्ष है
... लेकिन ये ब्लॉग इनकी तारीफ़ में नहीं लिखा जा रहा.... इनकी तारीफ़ तो वैसे भी दुनिया हो ही रही है......... तो बहती गंगा में एक लोटा पानी डालनेकी घृष्टता हम नहीं करेंगे ... ताजा समाचार यह है कि इनकी बहू ऐश्वर्या रोय बच्चन पद्मश्री लेने वालों की कतार में खड़ी है ; पर उसे देख कर हमें कोई आश्चर्य भी नहीं हो रहा... क्यों कि बच्चनजी का नाम जिस किसी के भी साथ जुड़ जाए... वह मनुष्य हर तरह से लायक बन ही जाता है... और बहू तो आख़िर बहू ही... ऐश्वर्या की जगह कोई 'दिनचर्या' नाम की भी इनकी बहू होती तो वह भी... भारी भरखम इनाम की हकदार अपने आप हो ही जाती.... ऐसा हमारा और हम जैसे अकलमंदों का मानना है
... अब अमिताभजी के ब्लॉग की चर्चा भी लगे हाथ होनी जरुरी है... वे ब्लॉग लिखतें है और हम जैसे अक्लमंद पढ़तें है... यह तो सर्व विदित है... लोग कहतें है कि वे अच्छा लिखतें है... हाल ही में उन्हों ने फ़िल्म 'स्लमडोग मिलिओनर ' फ़िल्म के बारे में अपने विचार व्यक्त किए ... हमने यह ख़बर अखबार में पढ़ी....क्यों कि हम बच्चनजी का ब्लॉग नहीं पढ़तें
.... क्या बच्चनजी किसीका ब्लॉग पढ़तें है?... किसीका पढा हो और टिपण्णी लिखी हो तो बताइये... ब्लॉग पढने का सबूत टिपण्णी ही होता है... स्लमडोग मिलिओनर के बारे में तो बहुतसे ब्लोगर्स ने बहुत कुछ लिखा है... सभी की अपनी अपनी अलग राय है... तो क्या और किसीका ब्गोग अमितजी ने नहीं पढा... चलिए किसी विषय पर अमितजी ने कोई ब्लॉग पढा हो और टिपण्णी लिखी हो... क्या ऐसा भी कभी हुआ है?
.... तो फ़िर उनके ब्लॉग पढ़ कर हम टिपण्णी क्यों देते है... इसलिए कि उनके पास टाइम नहीं है और हमारे पास टाइम के अलावा और कुछ नहीं है?..... मैंने कई ब्लॉग पढ़े है,यहाँ प्रतिभाओं की कमी कतई नहीं है बहुत से ब्लोगेर्स है जो सही में प्रतिभावान है.... लेकिन छिपी प्रतिभा भी क्या नवाजी जाती है?...
... और भी कई बड़ी हस्तियाँ .... जैसे कि आमिर खान, अनुपम खेर वगैरा ब्लॉग लिखतें है....अपने लालकृष्ण अडवानी भी खूब लिखतें है.... लेकिन क्या ये हस्तियां किसी और ब्लोगर का ब्लॉग पढ़नेकी बात सामने आई है?... अगर ऐसा है तो टिपण्णी दिखाइयें... हमारे साथ साथ कई ब्लोगर्स को भी बेहद खुशी होगी
पहले फिल्म, फ़िर राजनीति, फ़िर टी वी , फ़िर फ़िल्म और फ़िर अब ब्लॉग.... वाह वाह बच्चनजी! अपने आँगन से बाहर निकल कर किसी और के आँगन में भी तशरीफ़ लाइए.... वरना आपके आँगन में आना ब्लोगेर्स कब बंद कर देंगे.... आपको पता भी नहीं चलेगा
9 comments:
उनका दूसरे ब्लॉग पे आना न आना तो उनके निजी निर्णय है शायद वक़्त की कमी भी होगी .पर उन जैसे लोगो पर एक अतिरिक्त जिम्मेदारी आ जाती है कुछ ऐसा लिखने की जो शायद हमारे इस समाज को ओर बेहतर बनने में मदद करे क्यूंकि उनके ब्लॉग की पहुँच हजारो ओर लाखो लोगो तक है ओर उनके ढेरो ऐसे प्रशंसक है जो उनकी बातो को वजन देते है ओर कुछ ऐसे भी जो उनको फोल्लो करते है ओर मै इसे एक अभिनेता का आम जनता से संवाद की एक बेहतर जरिए मानता हूँ जो किन्ही कारणों से नही हो पाता .पर उन जैसे अभिनेता को अमर सिंह जैसे लोगो से जुदा देख दुःख भी होता है ...
ऐसे लोग किसी के ब्लॉग पर न भी जाएं तो कोई गलत नहीं , उनके पास समय कम रहता होगा !
वो युग प्रणेता हैं...लिविंग लिजेंड हैं...अपने हिस्से का कर चुके..उनसे हमारी इस तरह की उम्मीद लगाना या मांग मात्र मुर्खता ही कहलायेगी..
कभी माँ बाप से कोई नहीं पूचता कि हम हमेशा आपके पैर छूते हैं..आपने हमारे छुए क्या.
किसी को तो युग निर्माता या सर्व मान्य रहने दें हम.
आपकी बात काटना उद्देश्य नहीं मगर अपनी बात रखे बिना रहा नहीं गया.
माननीय ..... डॉ.अनुराग, विवेक सिंह और समीरजी,
आप सभी के कोमेंट्स ही मेरे लिए अति महत्वपूर्ण और प्रेरणास्पद है।.... मेरे विचारों से सहमत होना जरुरी नहीं है।
Amitabh ne blog ki ahmiyat samjhi, aur unse prerit hokar bhi kai log blogging mein aaye. Magar yeh baat bhi sahi hai ki paraspar tippaniyan blog ke mool tatva hain.
"बड़े आदमी" को देख दुम हिलाना,उनके नज़दीक होने की येन केन प्रकारेण प्रयत्न करते रहना, और इस कारण प्रसिद्धि पाने की आकांछा रखना , यहाँ आम बात है !
बहुत अच्छा लेख !
होली पर्व की बधाई और घणी रामराम.
अमिताभ जी का ब्लॉग मैने कभी पढा नही । पर अगर आप उन्हें नही पढना चाहतीं बिलकुल न पढें । कोई अच्छा अभिनय करता है तो अच्छा लिखे यह जरूरी तो नही । मुझे लगती है कि मेरी एक टिप्पणी तो वहीं जाय न जहाँ किसी की हौसला अफजाई हो या जो लिखा मुझे सच में बहुत अच्छा लगे ।
समय के बेशकीमती होने के बारे में कोई बवाल नहीं - हाँ टैक्स की चोरी और उस पर सीनाजोरी जैसे एक-दो नहीं सैकडों मुद्दों पर बवाल हो सकता है. रही बात बहूरानी की तो उनके नाम से तो उस ज़मीन पर विश्व विद्यालय बन ही गया है जिसके गैरकानूनी कब्जे की बात पर पहले ही बहुत फजीता हो चुका है. अंग्रेजी की उस कहावत में बड़ी दम है - "nothing succeeds like success" मगर क्या करें, हम तो आज भी पुराने ज़माने की कहावतों से ही चिपके हुए हैं जैसे कि
"सत्यमेव जयते नानृतम्"
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