चिठ्ठाकारों का सम्मलेन!
ब्लॉग को चिठ्ठा कहा जाए तो ब्लोगर्स चिठ्ठाकार अपने आप ही हो गए!...मैंने भी बिना लाग-लपट के कह दिया रचनाजी!....वैसे आपने जिस संमेलन के बारे में लिखा है वह कब और कहाँ हुआ ...इसका पता आपने दिया नहीं है!...खैर!...जाहिर है इस संमेलन का आयोजन आपने नहीं किया था!...तो संयोजक कौन थे?...कृपया बताने का कष्ट करें!...वैसे आपने सारी जानकारी स्पष्ट रूप से दी है, धन्यवाद!
ब्लॉग विमर्श के लिए कुल 10 पॉइंट्स थे!... सभी पॉइंट्स विचारणीय है!
....अब ब्लॉग के जरिए हिंदी का उत्थान देखें तो यह हिंदी भाषा के प्रचार के लिए उत्तम मार्ग है!....जन साधारण को सिर्फ हिंदी पढने के लिए बाध्य कर के...हिंदी का उत्थान नहीं हो सकता!...उनके लिए लिखने की जगह उपलब्ध होना भी जरुरी है!...उन्हें जब लगेगा कि उनका लिखा हुआ पढ़ा जा रहा है, उस पर अन्य पाठक अपनी राय भी दे रहे है...तो वह और ज्यादा लिखेंगे और इस प्रकार हिंदी का प्रचार आगे बढेगा!..ब्लॉग लेखन इस प्रकार हिंदी भाषा को समृद्ध बना रहा है!
....हिंदी ब्लॉग से कमाई ....इस पॉइंट पर विचार करें तो परिणाम फिल हाल शून्य ही सामने आ रहा है!...और इसी वजह से जैसा कि एक अन्य पॉइंट है....ब्लोगरों कि संख्या घटती जा रही है! अपना बहुमूल्य समय ब्लॉग लिखने में खर्च करना हर किसी के बस की बात नहीं है!... जिन ब्लोगर्स का कमाई का अन्य जरिया बेहतरीन होता है, वही हिंदी ब्लॉग लिखने में रूचि लेते है!... मुझे लगता है मेरे इस विचार से सभी ब्लॉगर्स सहमत होंगे!...अब यह काम उस वेब-साईट का है जो हिंदी ब्लॉग्स के लिए ब्लोगर्स को आमंत्रित कर रहे है!
...ब्लॉग पर साहित्य का सृजन...यह भी एक ध्यान खिंचने वाला पॉइंट है!...माना कि हर लिखने वाला साहित्यिक नहीं होता!...लेकिन अगर कोई साहित्यिक ब्लॉग लिखने पर आमादा हो जाता है तो जाहिर है कि वह सभी के ध्यान अपनी तरफ खिंचता है!...उसकी कलम में यह शक्ति होती है!...लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि अन्य ब्लोगर्स हीन भावना का अनुभव करें और पीछे हटें!...इसका अच्छा उदाहरण हमारी फिल्म इंडस्ट्री है!...अमिताभ बच्चन,शाहरुख खान, अक्षय कुमार जैसे बड़े कलाकारों के चलते हुए भी साधारण कलाकारों की तूती बज रही है!... अब साधारण कलाकारों की सूची आप स्वयं तैयार कर सकतें है!... बड़े नामी सिंगर्स के होते हुए भी छोटे सिंगर्स की मांग कम नहीं है!....तो इस बारे में यही कहना है कि ब्लॉग लिखने के लिए साहित्यिक होना जरुरी नहीं है...अपने विचार स्पष्ट रूप से लिख कर व्यक्त करने की कला ही पर्याप्त है!.
गुट बाजी :समीर और अनूप की... यह पॉइंट कैसे दर्ज हुआ यह समझ में नहीं आ रहा!... मैं समझती हूँ कि इस प्रकार की कोई गुट बाजी यहाँ नहीं है!
ब्लॉग पर पाठक बढ़ सकतें है!...ब्लोगर्स की संख्या बढ़ने के साथ साथ ही पाठकों की संख्या भी बढ़ सकती है!...इसके लिए ब्लोगर्स के लिए पारिश्रमिक उपलब्ध होना जरुरी है!...कैसे?...इसके लिए अलग से विमर्श होना चाहिए!..सभी ब्लोगर्स अपनी राय दें...अगर बोलने का मौका नहीं मिलता तो लिख कर अपने विचार सब के सामने रख सकतें है!
रचना जी को मैं यहाँ धन्यवाद देना चाहूंगी!....आपने बहुत महत्वपूर्ण मुद्दे पर विचार व्यक्त करने के लिए आमंत्रित किया है!...
6 comments:
aruna yae samaelan dilli mae hua thaa aur is kaa nimatrn sarvjanik thaa nukad blog par
mae gayee thee wahaan vimarsh nahi hua tha in baato ko kehaa gaya thaa so maen apnae blog par jan saadharn blogger kae liyae dae diyaa
aap naari blog par bhi iski vistrit reprt padh saktee haen
http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2010/11/blog-post_14.html
aap ne apne mantavy rakha achcha lagaa
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बहुत सही बिन्दुओं को उठाया गया है। इन पर विचार विमर्श होना ही चाहिए। सभी लाभान्वित होंगे और हिंदी ब्लोगिंग को एक नयी दिशा भी मिलेगी।
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हिन्दी ब्लॉगरों की संख्या बढाने और पाठकों की रुचि इसमें हो इसके लिये ापके सुझाव उत्तम हैं पारिश्रमिक की बात कितनी हो पायेगी यह कहना मुश्किल है पर अधिकतर ब्लॉगर स्वान्त सुखाय लिखते हैं और प्रतिक्रियाओं से संतुष्ट लगते हैं । रचना की रपट मैने नही पढी तो पढूंगी ।
अछे बिन्दुओं को उठाया है आपने ... सकारात्मक बातें होनी चाहियें ..
आप का ब्लॉग देख कर अच्छा लगा। पहली बार ही यहां पहुंचा हूं। धन्यवाद।
बहुत सुंदर ....तिल्यार में आपके दर्शन करके मन प्रसन्न हुआ ....शुक्रिया
चलते -चलते पर आपका स्वागत है ..
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