अलबेला खत्री जी की हास्य-व्यंग्य प्रतियोगिता हाजिर है!
श्री. अलबेला खत्री जी हास्य कवि है ...लेकिन सिर्फ कविता के माध्यम से ही नहीं... बातों का बतंगड़ बना कर भी हंसाने में ये कवि महाशय माहिर है!...मैंने हाल ही में तिलियार ब्लोगर मेले में इनके द्वारा प्रसारित हास्य की फुआर उडती देखी!....वैसे इन्हों ने, कहते है कि वहां हास्य की गंगा भी बहाई थी.... लेकिन ये साहब जब वहां पहुंचें... लेट ही पहुंचे....तब हम ( मतलब कि मैं और मेरे पति पृथ्वीराज कपूर ) वापसी की ही तैयारी कर रहे थे!...फिर भी आधा घंटा और ठहर गए और इनके सानिंध्य का आनंद उठा ही लिया!... तब बात छिड़ गई थी इनके साथ हुए राखी सावंत की भिडंत की!...हा, हा, हा...
...राखी सावंत के तेवर तो टी.वी.चेनलों का गरम मसाला है ही ! ...लेकिन राखी सावंत को भी अलाबेलाजी ने तीखी हरी मिर्चे चटा दी...सुन कर वहा बैठे सभी वाह वाह कर उठे !...ब्लोगर मेले की असली आप-बिती तो अब राज भाटियाजी सुनाने वाले है!...इन्होने ही इस मेले का भार अपने कंधे पर या कंधों पर उठाया था!....हा, हा, हा!
ताजा समाचार मैं यहाँ दे रही हूँ कि अलबेला खत्री जी ...स्पर्धा क्रमांक -5 का ...हास्य-व्यंग्य प्रतियोगिता का ....आयोजन करने जा रहे है... जैसे कि 1,2,3 और 4 का कर चुके है!...इस बार उनका कहना है कि हास्य-व्यंग्य प्रतियोगियों द्वारा प्रस्तुत किए जाने चाहिए...मतलब कि हंसाने की जिम्मेदारी हम ब्लोगर्स की है...और हंसने की जिम्मेदारी उनकी है!......चाहे कविता हो, गजल हो,लेख हो, कहानी हो, निबंध हो, कार्टून हो ....कुछ भी चलेगा, लेकिन हँसाने में सक्षम होना जरुरी है!....अलबेला जी जरुर हसेंगे ...आप इस स्पर्धा में भाग ले कर तो देखिए...हा, हा, हा!
...एक प्रतियोगी एक ही रचना भेज सकता है! ....रचना भेजने कि अंतिम तारीख 15 दिसंबर है!... इनाम भी देने के लिए उन्होंने तैयार रखे हुए है!...तो Albelakhatri.com पर फ़ौरन दौड़ लगाइए और अपनी क्षमता का परिचय सभी को दीजिये!...हां, हा, हां!
...अगर यह खबर पढ़ कर हंसी आ जाए तो मेरे साथ बेशक ठहाका लगा सकतें है....हा, हा, हा!
27 comments:
हंसी तो खूब आ रही है जी, हा-हा-हा
आपने हंसते-हंसते जो यह पोस्ट लिखी है। हा-हा-हा
अब इसे रोकूं कैसे हा-हा-हा
प्रणाम हा-हा-हा
...धन्यवाद अन्तर सोहिल जी!...हा, हा, हा!
लीजिए जी हम भी हंस लेते हैं आपने हँसते हुए लिखा है तो :) हा हा हा .
जब नाम ही अल्बेला है तो काम कैसे होंगे?:)
रामराम.
हंसेंगे तो सब जब इनाम नहीं मिलेगा। चाहे खिसियानी हंसी ही क्यों न हो
विश्व सिनेमा में स्त्रियों का नया अवतार : गोवा से
देखते हैं हम भी अलबेला जी के यहां जाकर।
खत्री जी की साइट पर देखते हैं...
अभी जाते है देखने वंहा लेकिन मुझे तो रचना लिखनी आती ही नहीं है |
शिखा जी!...धन्यवाद...आप भी मेरे साथ जी खोल कर हंसिए...हा, हा, हा!
ताउजी राम राम घणी!...अलबेला उनका नाम है तो काम का तरीका भी अलबेला ही है...हा, हा, हा!...ताउजी आप ब्लोगर मेले में दिखाई नहीं दिए!...हा, हा, हा!
अविनाश जी!...हो सकता है खसियानी हंसी आप को और मुझे भी हंसनी पडे...
हा,हा,हा!...लेकिन वह तो बाद की बात है....उससे पहले क्यों न जोरदार कहकहा लगाएं!...हा, हा, हा!
नीरज जाट जी और भारतीय नागरिक जी!...आप दोनो अलबेला जी की साइट पर साथ साथ चले जाइए....हा, हा, हा!
नरेश जी!...आप लिखिए...हास्य-रचना का निर्माण अपने आप हो जाएगा!...हा, हा, हा!
अगर यह खबर पढ़ कर हंसी आ जाए तो मेरे साथ बेशक ठहाका लगा सकतें है....हा, हा, हा
चलिए धहाका लगा ही लेते हैं
रचना मेल कर दी
खत्री जी देख लीजिये
लगता है मुझे भी रचना भेजनी पड़ेगी ..इनाम न सही ..खत्री जी का निमंत्रण तो ठुकराया नहीं जा सकता ..अगर मेरी रचना से खत्री जी थोडा सा मुस्करा भी दिए तो ....हा.. हा... हा...... हम भी करेंगे
शुक्रिया
खबर पर तो हम बस मुस्कुराकर रह गए क्योंकि अपनी हंसी बचा कर रख लेते हैं ताकि अलबेला जी
'रचना'
पर हंसें और हम उनकी अलबेली हंसी पर ।
2. अलबेला जी (राखी जैसी) औरतों को सिर्फ नकेल ही पहनाते बल्कि उनकी नाक भी छेद देते हैं , ऐसा कहना है एक ऐसे शख्स का जो कि लिखता है बहुत और दिखता है कम और किसी की तारीफ तो वे बहुत ही कम करते हैं ।
अलबेला जी उन्हें जानते हैं।
3. 'रचना' आमंत्रित है अलबेला जी के द्वारा तो यह रचना की भी ख़ुशनसीबी है और रचना को भेजने वाले की भी ।
4. जैसी 'रचना' अलबेला जी चाहते हैं वह भेजना तो अपने बस से बाहर है लेकिन शायद 'कुछ' जरूर भेज दूँ ।
जाने ताऊ पहेली १०२ का सही जवाब :
http://chorikablog.blogspot.com/2010/11/blog-post_27.html
हंसते रहो हंसाते रहो हमारे साथ ही थे। आपसे मिल कर भी बहुत अच्छा लगा। आपकी पुस्तक पढ रही हूँ। रोचक है पूरी पढ कर लिखती हूँ। धन्यवाद।
हंसी तो आ रही है हंसते रहो हंसाते रहो
हा हा हा । जानकारी का धन्यवाद अरुणा जी हा हा हा ।
हा हा!
एस.एम. मासूम जी!...धन्यवाद एवं अनेको शुभ कामनाएं!...हंसना हंसाना तो हर बीमारी की राम-बाण औषधि है...ह, हा, हा!
गिरीश बिलौरे जी!...बहुत अच्छा लगा कि आपने हास्य रचना भेज दी...हम भी पढेंगे..हा, हा, हा!
केवल राम जी! ईनाम तो मिल ही जाएगा!...संतोष धन किसी ईनाम से कम थोडे ही होता है!...हा, हा, हा!
बंटी चोर जी!...आप का तो नाम पढ ही हंसी आ गई!...आप की हास्य रचना तो वाकई पेट में बल डाल देगी...हा, हा, हा!
डॉ.अनवर जमाल साहब!...धन्यवाद!...आप रचना अवश्य भेजें...ईनाम के हकदार आप भी हो सकतें है!...हा, हा, हा!
निर्मला जी!...तिलियार में आप से मिल कर बह्त खुशी हुई...ऐसे ही आप मिलती रहें!...मेरी किताब आप को अच्छी लगी जान कर बहुत अच्छा लगा!..इस किताब में मैने कई हास्य पैदा करने वाले प्रसंग घुसेडे है...जरुर हंसें....हा, हा, हा!सुनिल जी धन्यवाद!...आप ही हंसते रहिए, हंसातें रहिए!....हा, हा, हा!
आशाजी धन्यवाद...आप कब मिलने आ रही है..इंतजार करु?....अब तो मिल कर ही हसेंगे...हा, हा, हा!
समीर जी...धन्यवाद!...आप से मिलने का मौका नहीं मिला...फिर भी आप की हंसने हंसाने की आर्ट आप के ब्लोग्स पढ कर ही जानी जा सकती है!....आप अपनी कहानी के लिए शिर्षक ढूंढ रहे थे!...मिल ही गया होगा....हा, हा, हा!
अरे वाह .....
चलिए हम भी हंसने आयेगे अलबेला जी के साथ ......
भाग तो तब लेते जो कोई रोने की स्पर्धा होती .....हा....हा....हा......!!
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अरुणा जी,
अच्छी लगी ब्लोगर मीट की ये रिपोर्टिंग भी ।
आभार।
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हा हा हा हा
कमाल कर दिया
मालामाल कर दिया हँसी से
ब्लॉग जगत को भर दिया ख़ुशी से
आपका ये आलेख ज़बरदस्त शाहकार है
आभार है ! आभार है ! आभार है ! आभार है !
धन्यवाद
-अलबेला खत्री
वा भई वा !!
प्रणाम, ज्यादा लिखूंगा तो बात का बतंगड़ बन जाएगा!
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