Tuesday, 8 January 2008

टॉम ऎंड जेरी शो पार्ट-8

जायका के घर मे...
'TOM AND JERRY SHOW '..Part-8

..और उस मोटू मोटवानी का दूसरा हाथ हमारी तरफ आगे बढ़ा... हौले, हौले वह हमे दुलारने लगा था। हमने आँखें बंद की हुई थी! सबकुछ बहुत ही अच्छा लगा रहा था। हमारा एक हाथ तो मोटवानी के हाथ में जमा हुआ था ही ; अब हम दूसरे हाथ से मोटवानी को सहलाने लगे!

..अब हमारा हाथ मोटवानी के घने बालों पर घुम रहा था। उसके लंबे बाल नामिका के बालों की तरह घने तो थे, पर वो वाली नरमी नहीं थी। हमें इस समय सिर्फ गरमी चाहिए थी; नरमी की क्या ज़रूरत थी? हमें मोटवानी पहले भले ही अच्छा न लगा रहा हो... इस समय तो वह हमें इतना मज़ा दे रहा था, इतना मज़ा दे रहा था की हम नामिकाको भूल ही गए थे। यही मज़े हम उससे लूटते रहते थे....लेकिन मोटवानी जैसा मज़ा वो कहाँ दे सकती थी कमबख्त!


"...मोटे darling! बोलो...कुछ तो बोलो!... हमारे कान तुम्हारी आवाज़ सुननेको को तरस रहे है darling!.... तुम्हारे होठोंसे तो हम पी ही रहे है...चुक, चुक,चुक चुक...अहाहा! क्या मज़ा आ रहा है...अमृत सा घुल रहा है हमारे मुख में... ऐ जालिम मोटू, मोटवानी darling! हम तो अब उम्र भर तेरे संग ही रहेंगे. बता तो सही हमारा बदन छू कर तुम कैसा महसूस कर रहे हो?"

...और एकदम से हमारे गाल पर किसीने चूंटी कांटी।....." अरे ओ मोटे, ये भी कोई प्यार करनेका ढंग है?"
चिल्लाते हुए हमने आँखे खोली...

" अरे ये तो तुम हो नामिके! मोटवानी कहाँ गया? कितना अच्छा लग रहा था... तुम यहाँ क्यों आई ? " हम इधर उधर देख रहे थे। हमारे सामने एक सफ़ेद बालों वाला छोटासा कुत्तेका पिल्ला खड़ा था; नामिका भी थी और उसका friend धामी भी था! धामी हंस रहा था और नामिका लाल-पीली हो रही थी!

" तुम आराम से सो रही हो जायके! मोटवानी को थोडी देर के लिए सही... अपना बनाकर अपने पास रखना तो तुम्हे आया नहीं! उसको अभी अभी किसी और लड़की ने पटाया और उसकी मोटर साइकिल पर पीछे बैठ कर उड़न छू हो गई... वो तो धामी ने देख लिया और मुझे बताया तो मैं यहाँ आई! तुने तो मेरा भी मज़ा किरकिरा कर दिया...बेवकूफ कहीं की!" हमें डांट लगते हुए ,नामिका ने फिर मूड बनाने के लिए धामी का हाथ जोरसे थाम लिया।

..अब हमारी समझ में आया कि हमें यकायक नींद आ गई और हमारा हाथ मोटवानी के हाथ से छुट गया। फिर क्या था... मोटवानी ने इधर उधर देखा होगा! उसे दूसरी लड़की नज़र आ गई जो हंस कर उसे बुला रही होगी! फिर क्या होना था?.... वही हुआ जो हमेशा होता आया है... अरे ये लड़का भी हमारे हाथ से निकल गया।

..कहीं से बालों वाला छोटासा पिल्ला हमारे पास आ गया और नींद में हम उसे मोटवानी समझ कर प्यार करने लगे तो... वह भी हमें प्यार करने लगा और ये सब हुआ!

"नामिका! अब घर चलतें है। ... छोड़ धामी को! ...तेरी तो अब उस डब्बू से शादी होनेवाली हैं!" हमने नामिका को याद क्या दिलवाया.... हमारे लिए तो आफत खड़ी हो गई!

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