जायका के घर में..
'TOM AND JERRY SHOW'..Part-7
'...आहाहा! garden में तो मज़ा आ रहा है। दिल करता है , बस यही रह लूँ; फूलों कि हसीन क्यारियाँ और उपरसे मेरे मन चाहे गुलाब के फूलों का तो कहाना ही क्या?.... गुलाबी, लाल, पीले, ऑरेंज , व्हाइट .... कितने सुंदर फूल है यहाँ पर ....धरती पर मानों स्वर्ग उतर आया है आहाहा! और उधर तो लगता है कि.... '
" किस तरफ देख रही हो जायका? उन दो लड़कों की तरफ, जो Khallas-boyes लग रहे है ? " कहते हुए नामिका ने मुझे चुंटी तो कांटी ...पर गलत जगह पर कांटी और मैं उखड गई। जवाब में मैंने उसकी, उसी जगह पर इतनी जोर से चुंटी काँटी कि तिलमिलाकर उसने चीख मार दी.... उसकी चीख सुनकर वो जो दो लड़के Khallas-boyes कुछ ही दूरी पर खडे बतियाँ रहे थे; अब पास आ गए....
" हाय sweet heart नामिका! ये तो तुम हो... और ये लड़की कौन है जो तुझे छेड़ रही है?" लंबा लड़का हमारी तरफ घुर कर देखता हुआ बोला। जाहिर था कि वह नामिका को जानता था। उसका ex boy-friend भी रहा होगा ....पर मुझे क्या! ...लेकिन उसकी यह ज़रूरत कि वो नामिका को sweet heart कहे और हमें उससे छेड़छाड़ करने वाली लड़की बताएं...
" ऐ मिस्टर, तुम्हारी ज़रूरत कैसी हुई हमारे बीच आने की?... हम अभी police को बुलाते है, पकड़ कर अंदर कर देगी तब पता चलेगा कि 'ये लड़की कौन है!' "... कहते हुए हमने 100 number पर फ़ोन करने के लिए पर्स से अपना mobile निकाला....
" पागल हो गई क्या?... ये धामी है, मेरा बहुत अच्छा दोस्त है... मतलब कि पहले था। चार महीने पहले कोलकाता चला गया था... आज इतने दिनों बाद मिला है!" कहते हुए नामिका ने उसे गले लगाया। दूसरा ठींगू लड़का हमारी तरफ देख रहा था... शायद हमें गले लगाने की सोच रहा होगा ,पर उसने ऐसा नहीं किया.... हमारी शकल ही ऐसी थी कि लड़कें हमसे दो हाथ दूर रहना ही पसंद करते थे।
.... दस मिनट तक नामिका, उस धामी के साथ अटखेलियाँ करती रही और दस मिनट तक हम उस ठींगू कि आंखों में आंखें डाले खड़े रहे कि अब पास आया, तब पास आया! .... लेकिन वह नही आया और फिर हमारा हाथ mobile कि तरफ गया!
" जायका! mobile अब पर्स में वापस रख दे darling! " नामिका ने हमें darling कहा और हम फिर से पानी, पानी हो गए।
"हां! तो नामिका बता अब यही खड़े रहना है या कुछ और भी करना है?" हमने नामिका से सीधा सीधा पूछा।
"अरे यार, ऐसा करते है... धामी और मैं तो friend तो है ही; हम दोनों उस तरफ चले जाते है..... उस बरगद के पेड़ के पीछे लगता है कि कोई नही है..... और..." नामिका बोलते बोलते रूक गई।
"जायका! ये मेरा दोस्त मोटवानी है! ... तुम्हे कैसा लगा?... तुम दोनों ही ठींगुजी हो!... तुम दोनों अपनी जोड़ी आराम से बना सकते हो! " धामी ने सलाह दी और हम मान गए। अब तक हमारा लंबा या नाटा, काला या गोरा, दुबला या मोटा... कोई भी boy-friend नहीं था... फिर मोटवानी भी तो लड़का था, ऐसी वैसी चीज़ थोडे ही था!
..हम ने मोटवानी से हाथ मिलाया... पर मन में तो घर में चल रहा ' TOM AND JERRY SHOW' ही हिलोरें ले रहा था। नामिका अब धामी के साथ बरगद के पेड़ के पीछे चली गई थी। बार बार लग रहा था कि जा कर उसे देख आए कि वहां का सीन क्या है... पर मोटवानी हमारा हाथ पकडे हुए था... और कुछ कर भी नहीं रहा था कमबख्त !
No comments:
Post a Comment