Saturday 19 March 2011

होली आई...होली गई!



...मेरी होली मजेदार रही...और आपकी?







रंगों के बहाने रंगीन सपने...
चित्रित करने आती है होली....
रूठो को मनाने का मौका...
हमें दे जाती है होली....
कुछ भी कह दो, कुछ भी बोलो...
गाली भी लगती है भली...
गुजराती,पंजाबी, मराठी नहीं...
यहाँ मजाक की चलती है बोली...
ढोल.ताशे, मृदंग की थाप पर...
हमें खूब नचाती है होली....

....क्या कहने!...बहुत अच्छा त्यौहार है....खुशी खुशी मनाओ !...और हमने मनाई होली!...मैंने करीबन दस साल के अंतराल के बाद समाज के साथ घुल मिल कर मैंने होली मनाई! बहुत अच्छा अनुभव रहा!

...इस बार समाज में आए हुए बहुत बड़े परिवर्तन को देखा!..होली पक्के और हानिकारक रंगों से नहीं खेली जाती!...और यह देख कर खेली जाती है कि सामने वाला रंग खेलने की मानसिकता लिए हुए है या नही!...कोई अभद्र व्यवहार किसीके साथ नहीं करता... कोई अपशब्दों का प्रयोग भी नहीं करता........मैंने यही सब देखा और लगा कि समाज में वाकई कितना परिवर्तन आ चुका है!...

...दस साल पहले की ऐसी ही होली ने रंगों को बदरंग कर डाला था और आपस के झगड़ो की वजह से पुलिस तक हमारी सोसायटी में बुलाई गई थी!...होली का हूड्दंग आफत बन गया था!

....वैसे हर त्यौहार का अपना एक अलग महत्त्व है...एक अलग कहानी है!...लेकिन खुशी तो हर हर त्यौहार अपने साथ ले कर आता ही है!...होली की मेरे सभी ब्लौगर मित्रों को तहे दिल से बधाई!...सभी ने होली का मजा लूटा ही होगा!

....मैं अपनी उम्र की बात करूं तो यह ६०+ चल रही है!...प्लस कितना करना है, यह मैं आप पर छोड़ देती हूं ....क्यों कि मैं मानती हूँ कि जब तक मेरा दाहिना हाथ कलम चलाता रहेगा मेरी उम्र ६० ही वर्ष की रहेगी और जिस दिन हाथ कलम को छोड़ देगा उस दिन मेरे १०० साल पूरे जाएंगे! जीवन की गाडी अपनी रफ़्तार से चल रही है!


चन्द्र धरती के पास आ रहा है...अब तक फिर दूर जाने की राह पर होगा!...जापान तबाह हो चुका है...पता नही इसका जिम्मेदार चाँद है या नहीं!..कोई 'ना' कह रहा है!...कोई 'हाँ' कह रहा है ...और भी तबाही की आशंकाए जताई जा रही है!
...तो चलिए ,देखें की आगे क्या परोसा जाने वाला है!

अब फिर अपनी बात कहूं तो ....एक नॉवल लिख चुकी हूं...उनकी नजर है हम पर... दूसरा भी लिख चुकी हूं ..लेकिन अभी उसे छपवाने की जल्दी मुझे नहीं है!..लगता है हर काम अपने समय पर खुद- ब-खुद हो जाता है!...हां! प्रतियोगिताओं में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेना मेरा बचपन का शौक है ..जो अब तक जारी है!...फिर वह कविता लिखने की प्रतियोगिता हो, कहानी प्रतियोगिता हो, निबंध हो ...या कोई अन्य हो!...बहुत बार जीतने की खुशी मुझे मिली है और हारने की भी मिली है!..जी हां!...मैं हार को भी खुशी मान कर ही गले लगाती हूँ!

....चलिए फिलहाल तो आप सभी होली कैसी मनाई जाए...इस पर विचार विमर्श कर रहे होंगे!..और मुझे पता है कि कुछ ज्यादा स्मार्ट ब्लोगर्स होली मनाने से पहले ही...हमने ऐसे मनाई होली...कहकर मनगढ़ंत कहानी लिखने में मस्त हो गए होंगे!...माफ़ करना मनगढ़ंत कहानिया मैंने भी लिखी है....तो मेरा ऐसा सोचना जायज है कि नहीं?

...तो एक बार फिर ..आप सभी को होली मुबारक हो....