Monday 31 December 2007

टॉम ऎंड जेरी पार्ट-5

जायका के घर में...
' TOM AND JERRY SHOW'..Part-5

...अब हम नामिका के घर उसका बिल्ला 'TOM' लेने जा रहे थे। पिंजडा तो जैसे तैसे हमने खरीद ही लिया था। नामिका का कहना था कि अगर Jerry चूहा पिंजडे में भी by chance नहीं फंसा, तो TOM बिल्ला उसे मात दे सकता है। हमने भी उसकी बात मान ली.... वैसे तो उसकी हर बात हम मानते ही थे; वह थी जो इतनी सुंदर!

...नामिका कि सुन्दरता के बारेमें कहें तो... उसके काले, लंबे, घटाओं जैसे घने और रेशमी बाल! जब वह उन्हें खुले छोड़ देती थी तो अहाहा! ऐसे लगता था कि कोई झरना... झर, झर बह रहा है और हम झरने के ठीक पीछे खडे है। यह तो हुई उसके बालों की हकीकत! अब उसके गालों के बारेमें बताए तो सबसे पहले आपको गुलाब के ताज़ा फूलों को जहन में लाना पड़ेगा क्या?


...पर अब नामिका का घर आ गया था। नामिका वैसे हमें अपने घर ले जाने के लिए कभी राजी होती ही नहीं थी। इसका एक मोटा कारण था... उसके घर में हमेशा कोई न कोई boy-friend मौजूद रहता था। काश हमारे साथ भी ऐसा होता... पर कहते है की मियां के पांव में जूती? अजी भूल जाइए!


..आहा! आज तो उसका मंगेतर डब्बू यहाँ था।
' hay handsome, डब्बू; मैं तेरे गले लग्गू... ' पर नामिका समझ गई की हम कुछ भी कर सकते है और इसीलिए बोली...

" जायका यहाँ बाहर ही खड़ी रहना; अंदर मत आना। यहाँ सारी चीजें असता-व्यस्त पड़ी हुई है।" कहते हुए उसने bed पर पड़ी bra उठाकर डब्बू के पाजामें की जेब में सरका दी। ..पर हमने तो देख ही लिया था। डब्बू की कोई नौकरी नहीं थी। मिठाई की दुकान पर ताला लग गया था और अब ये नामिका के घर में रह रहा था. नौकरी मिलतेही नामिकासे व्याह रचाने की इसकी पूरी तैयारी थी।


" हम जा रहे है डब्बू... खाना बनाकर रखना! अगर दोपहर दो बजे तक आ गए तो ठीक है... नहीं तो खाना लेना; भूखा मत रहना समझे? " डब्बू को और अच्छी तरह समझाने के लिए नामिका ने उसका लंबा किस लिया और इधर हमारे गाल और कान लाल हो गए।


" चल जायका, तूने मेरा बहुत टाइम ख़राब किया। अब मेरे TOM बिल्ले के साथ तुझे तेरे घर छोड़ देती हूँ। डर मत यार! ये डर ही है जो तेरे पास किसी लड़केको फटकने नहीं देता! वरना तेरी शकल इतनी तो बुरी नहीं है!" नामिका के कहने पर हमें गुस्सा भी आ रहा था ... लेकिन उसके कहने में थोडी सच्चाई होने की वजह से हमने अपना गुस्सा पी लिया और उसकी कार में उसके बिल्ले 'TOM' को ले कर बैठ गए... अब हम अपने घर की तरफ जा रहे थे. हमें बहुतसे काम थे. पहले तो उस चोर को पकड़ना था, जो हमारा दूध पी जाता था और हमारी icecream खा जाता था....

Friday 28 December 2007

'टॉम ऎंड जेरी शो' पार्ट-4

जायका के घर में...
'TOM AND JARRY SHOW'..Part-4

..अब हम नामिका के साथ, उसकी कार में ... उस जेरी चूहे को पकड़ने के लिए पिंजडा खरीदने जा रहे थे। हमारे घर में उस समय वह अपनी girl friend के साथ रंग- रेलियाँ मना रहा था। अरे! हमसे तो वही ज्यादा अक्लमंद था जो उसने चुहिया को पटाया था। आज तक हमसे कहाँ कोई लड़का पटा था...हूँ!


वो तो किस्मत अच्छी थी कि कार वाली नामिका मिल गई थी, जो कभी कभी हमसे ... हमें लड़का समझ कर लिपट जाती थी और कभी हम उसे लड़का समझ कर, उसकी गोद में बैठ जाते थे... इससे ज्यादा सुख हमें क्या मिल सकता था!


... इस समय कार हम drive कर रहे थे और नामिका हमें लड़का समझते हुए हमारे कंधे पर सिर रख कर , आँखें बंद किए आराम फरमा रही थी। ... हमें अच्छा भी लग रहा था कि ' काश! यह सफर यूँही चलाता रहे '....पर एक दम से उस कमबख्त जेरी कि याद आई और हमने कार कि ब्रेक पर पांव दबाया...


... ब्रेक जोर से क्या दब गई.... हमारे कंधे से सटी हुई नामिका हमारे ऊपर गिर गई। हमने तो बुरा नही माना पर वह गुस्से से लाल-पीली हो गई।

" जायका, ये क्या किया तुमने? "नामिका हमें अपना सीना दिखाती हुई बोली।
" यह तो तेरा पहलेसे ही है... किसी और ने किया है और नाम मेरा लगा रही हो!" हमने झूठा गुस्सा जाहिर किया। हम जानते थे कि नामिका की नींद का हमने फ़ायदा उठाया था .... क्या करें नामिका कमबख्त, थी भी तो सुंदर!

... नामिका मान गई कि हमने नहीं बल्कि उसके कलवाले boy-friend का ही यह काम हो सकता है। उसे कुछ कुछ याद भी आया ...पर हमने उसे आगे बोलने नहीं दिया और कार से उतर कर उसे सामनेवाली पिंजडे कि शॉप पर ले गए।

" हाँ! जी...भाई साहब, कितने का है यह पिंजडा ? " हमने पिंजडे में हाथ डालते हुए stile से पूछा।
" 1oo Rs.का है..... लेना हो लो, नहीं तो आगे का रास्ता नापो।" वह हमें घूरता हुआ बोला और हमने आगे का रास्ता नापना ही ठीक समझा।

" जायका, आगे की दुकान पर तू अपना मुँह बंद रख और मुझे बोलने दे समझी?" नामिका ने हमें डांटा और हमने उसकी 'हाँ' में 'हाँ' मिलाई ... वैसे हम समझे तो कुछ भी नहीं थे!

... आगे कि दुकान पर जा कर ही हमें पता चला कि दुकानदार को भाई-साहब कहने कि कीमत तो बड़ी ही चुकानी पड़ती है। नामिका इस मामले में समझदार थी; ... तभी तो उसके इतने सारे boy-friends थे और हमारा एक भी नहीं था.


... खैर! पिंजडा 10 Rs. में खरीद लिया और अब हम नामिका के घर की तरफ जा रहे थे। उसका TOM बिल्ला हमें चाहिए था... हमारे घर में घुसे हुए jerry को भगाने के लिए! पिंजडा अगर काम नहीं आया तो TOM ही कुछ कर के jerry को उसकी girl-friend के साथ विदा कर दें!


अब की बार कार जायका चला रही थी. वह एक हाथ से चला रही थी और.... सोने का नाटक कर के उसके दूसरे हाथ का मज़ा हम ले रहे थे....वाकई बड़ा ही मज़ा आ रहा था ... हल्का, हल्कासा ... और हमारे मुँह से सी-सी की आवाज़ भी निकल रही थी।

Thursday 27 December 2007

टॉम ऎंड जेरी शो पार्ट-3

जायका के घर में...

' TOM AND JERRY SHOW'..Part-3

हम देख रहे थे... भौचक्के होकर देख रहे थे। हमारे साथ खड़ी सुंदरी नामिका भी देख रही थी। हम सोफे पर पांव पसारे हुए चूहे को देख रहे थे ...और उसकी गोद में बैठी चुहियां को नामिका देख रही थी। अब चुहिया, चूहे कि गोद से नीचे उतर गई और मटकती हुई रसोई में चली गई.... हम देखे जा रहे थे।

" जायका चोर कहाँ है? यह तो मुझे ' जेरी चूहा' लग रहा है... मस्ती से अपनी महबूबा के साथ रंग-रेलियाँ मना रहा है; देख तो।" नामिका ने अपनी अकल का इस्तेमाल करते हुए हमें दिखाया।

" चुप कर! अभी चोर आ ही रहा होगा! थोडा इंतजार तो करना ही पड़ेगा... क्या?" हमने भी अकल का इस्तेमाल कर ही डाला।


...हम देख रहे थे...चुहिया ने फ्रिज़ खोला....
" wow! यहाँ आज आइसक्रीम भी है डिअर! " चुहिया बोली और हमने घुर कर नामिका कि तरफ देखा।
" मैं नहीं बोली, मरजायका ! चुहिया बोल रही है!... हूँ!" नामिका गुस्से से बोली। हमें गुस्सेमें आकर वह मरजायका कहती थी और हम गुस्सेमें उसे बदनामिका कहते थे... आपस की बात थी!

...अब जेरी और जेरनी आइसक्रीम खा रहे थे। हमारा टी वी चालू था..... अब डांस भी शुरू हो गया था। जेरी डांस इतना अच्छा कर रहा था की... माय गोड़! हमारा भी मन करने लगा की नाचना शुरू कर दें!

" मुझे लगता है... यही चोर और चोरनी है! "... अब गलती से हम कुछ जोरसे बोलें और जेरी का ध्यान हमारी तरफ गया। वह चुहिया का हाथ छोड़ कर हमारी तरफ चला आया। हम ने डर के मारे आँखें बंद कर ली;... और नामिका को जकड़ लिया। नामिका हमे खींच कर दरवाजे से बाहर ले गई और उधर जेरी ने दरवाजा बंद कर दिया। हमें हमारे ही घरसे बाहर निकाला गया। हमारे साथ ज्यादती हुई ।


" जायका, अब तो 100% लगता है की यही चोर है। हम एक काम करते है... बाजार से एक बडासा चूहे पकड़ने वाला पिंजडा खरीदकर लाते है। बिल्ला तो मेरे घर में है; मैं ले आउंगी ... तेरे पैसे बच जाएंगे! " नामिका ने कीमती सलाह दे डाली और हम मान गए! ...और कोई चारा ही नहीं था जी!


... अब हम जेरी को पकड़ने का प्लान बना रहे थे। पिंजडे की खरीदारी में खर्चा तो होना ही था... पर क्या करें?...चोर को तो पकड़ना ही था। हमारा दूध पी जाता था, हमारी आइसक्रीम खा जाता था...

Tuesday 18 December 2007

TOM AND JERRY SHOW Part-2

जायका के घर में .....

TOM AND JERRY SHOW'..Part-2

हम नामिका का हाथ पकड़ कर खड़े थे. कभी उसे अपने दिल के पास सटा कर जप्फ़ी भी डाल रहे थे.... जिससे की वह चली ना जाए! वह चली गई और चोर आ गया तो हमारा क्या होगा?...सोच सोच कर हम परेशान हो रहे थे और नामिका बार बार अपनी घड़ी देख रही थी.


" बदनामिका! ये वाली रिस्टवॉच तेरे कौनसे बॉयफ्रेंड ने गिफ्ट दी है?" हमने नामिका की घड़ी चुमते हुए उसे प्यार से पूछा।



" मुझे बदनामिका कहती है?....मरजायके! मैं अपने घर जा रही हूं.... मैं क्यों बताउ कि यह घड़ी मुझे किसने दी...बड़ी शाणी बनती है!" नामिका दरवाजे से बाहर निकल गई थी। हम पीछे पीछे चलें गए और उसे समझा-बुझा कर वापस अंदर ले आए। ....अब हम उसके साथ दरवाज़े के पीछे छिपकर चोर के आने का इंतज़ार करने लगे!


"जायका! मुझे लग रहा है कि ये तेरा वहम है। तेरे घर में चोर वगैरा कोई भी नहीं आता! तू तो फटिचर है.ले,दे कर ...बस तेरे पास सोने की एक अंगूठी है,जो तू पहन कर रखती है! फटे कपड़ों का चोर क्या करेगा? वो तो चोर बाज़ार में भी बिकने से रहे!..और तो और, तू किसीको घास तक नहीं डालती..तो क्या चोर दूध पीने और टी वी देखने तेरे घर में आता है?" नामिका पता नहीं हम पर कौनसे जनम का गुस्सा उतार रही थी.


" ...अब तो हद हो गई नामी! अब मुझसे तेरी ज्यादती बर्दाश्त नहीं हो रही...मेरे पास चाहे कुछ ना हो,पर तेरी वो...ऐसी-वैसी फोटोएं सैंकड़ों में पड़ी हुई है...तू अपने घर चली जा! मैं तेरी फोटोएं तेरे मंगेतर को भेज देती हूं! देखती हूं फिर तू कैसे शादी के मंडप में घुसती है!" हमे भी अब गुस्सा आ गया और हम ने नामिका की होने वाली शादी को... ना होने देने का प्लान बना डाला।


" अरे मेरी जंबोजेट,जायका!मै तो टाइम पास करने के लिए बातें कर रही थी। छॉड़ तू तो मज़ाक भी नहीं समझती! ये घड़ी तेरे को पसंद है तो तू रख लें....लेकिन मेरी फोटोऍ जो तेरे पास है; वो तो तू मुझे वापस नहीं करेगी....कोई बात नहीं।मेरी शादी होने तक उन्हें संभाल कर अपने पास ही रख लें...उन फोटों का जिकर भी किसीके सामने मत करना समझी?" नामिका ने अपनी महंगी घडी अब हमारी कलाई पर बांध दी थी और हम सब समझ गए थे.... कौन कहता है कि हमारी समझदानी छोटी है!

" नामिका देख! उधर देख! उधर दो चुहे हमारे सोफे पर बैठे हुए है और हम यहां दरवाजे के पीछे खड़ी खड़ी देख रही है!"हमने नामिका को दिखाया.

"दो चुहे नहीं है जायका! एक चुहा और एक चुहिया है। देख ध्यानसे... चुहिया के होंठ लाल है! उसने लिपस्टिक लगाई हुई है। कितनी अच्छी शेड है नहीं? " नामिका ने हमारी ग़लती सुधारी।

Monday 17 December 2007

TOM AND JERRY SHOW part-1

जायका के घर में ....

' TOM AND JERRY SHOW '.......part-1


"नामिका...सुन रही हो?" हमने नामिका का नंबर घुमाया।

"कौन जायका? हाँ! क्या है सुबहे,सुबहे... तुझे तो नींद आती नहीं और दूसरों को सोने देती नही! क्या टाइम हुआ है?" नामिका ने डांट लगाते हुए हमसे टाइम पूछा।

" जल्दी मेरे घर आ जा... यहीं टाइम देख लेना समझी ?" हमने फोन बंद कर दिया...अरे भाई बिल आ रहा था।

..नामिका आ गयी। हम जब भी बुलाते है, वह आ ही जाती है....अजी हमसे डरती है...उसकी सारी अंदर की बातें हम जानते है.... अगर पब्लिक में बता दी तो उसकी इज्जत का तो हो गया कचरा!

" नामिका , मैं जब घरमें नहीं होती न... तब घर में चोर घुस जाता है। दूध पी जाता है... खाना खा जाता है.... टीवी तक, बैठ कर देखता है.... कल तो टीवी बंद कर के जाना भी भूल गया था।"हमने नामिका को जल्दी में सब बता दिया।

" बोल अब क्या कहती है?"

" जायका! तेरा तो भेजा फिर गया लगता है। बंद घर में कौन घुस सकता है? ....ताला नहीं है क्या लगाने के लिए?" नामिका ने हमें फिर डांट पिलाई।

" देख नामिका , अब डांटना छोड़ और कोई और इलाज हो तो बता... कैसे चोर पकडा जा सकता है!" हम ने नामिका को ऊँचा भाव देते हुए पूछा। वह समझी की हम उसे अकलमंद समझ रहे है..... खुश होती हुई बोली....

" तेरी समझदानी इतनी छोटी क्यों है?.... मेरे बदले पुलिस को बुलाती तो ,अब तक चोर पकडा गया होता और हवालात की हवा खा रहा होता! अब भी मेरी बात मान ले और मेरे मोबाइल से फोन कर... बिल मेरा आएगा... क्या समझी?"

"...पुलिस कुछ नहीं करती नामिके! तेरी कार का कोई पता चला क्या?" हमने भी अपना दिमागी सवाल दागा!

" हाँ! पुलिस कुछ नही करती; लेकिन कुछ करनेका काम तो पुलिस का ही है... हमारा नही है। .... और for your kind information .... मेरी कार तो, चोर कल रात खुद ही घर पर छोड़ गया था... समझी?" नामिका ने कहा और हम चौंक गए।

" नामिका अब तो मैं मान गई तेरेको! अब चोर का पता तू ही लगा सकती है!....." हमने नामिका को गले लगाते हुए कहा। हम जानते थे की ऐसा करनेसे वह हमारी हर बात मान सकती है। अब तो कार भी आ गई थी... हम कार भी माँग सकते थे.... लेकिन पहले चोर का पता लगाना जरुरी था!

" जायका! मुझे लग रहा है कि' टॉम ऎंड जेरी शो' तेरे घर में चल रहा है!"

" मतलब?" मतलब हम समझे ही नहीं थे!

Sunday 16 December 2007

वह तो चाँद से आया था यार और ले गया कार

वह तो चाँद से आया था यार!.... और ले गया कार!


इलेक्शन आ गए जी, हमारे गुजरात में ! अब हम चुनाव लडेंगे। हम कोई पोलिटिकल पार्टी के उम्मीदवार नहीं है तो क्या हुआ? हम चुनाव लड़ ही सकते है। चुनाव तो चुनाव ही होता है .....

चुनाव शादी के लिए दूल्हा पसंद करनेका भी हो सकता है और नई ड्रेस खरीदने में भी हो सकता है और कौन सी फिल्म देखी जाये इसके बारे में भी हो सकता है और किस होटल में खाना खाया जाये ,इसके बारे में भी हो सकता है ...... मतलब तो चुनाव लड़नेसे होता है।


तो हमने चुनाव लड़ा और जीत भी गए। हमारी सहेली नामिका... वही गोल्डेन कार वाली, कह रही थी कि ....
" चांद पर कोई आदमी नही रहता... सब बकवास है। रह रहा होता तो हमारी धरती पर ज़रुर आता! चांद पर उसे अच्छा ढाबा मिलना नही था; तो खाना खाने उसे काके के ढाबे पर ज़रुर आना पड़ता .... काके के ढाबे पर आता तो हमारी नजरों से बचाकर कहां जाता?"



हमने कहा " ऐसा नहीं है नामिके ... वह काके के ढाबे पर आता भी है और खाना खा कर वापस चाँद पर चला भी जाता है। जरुरत है ज्यादा ध्यान रखनेकी! तू ठहरी कार वाली? तू देखती है तो सिर्फ ग्रीन और रेड लाइट! तू कार छोड़ और काके के ढाबे के साथ वाले पानवाले की दुकान पर या सामने वाले धोबी कि खटिया पर बैठ कर ध्यान रख और कार मुझे दे दे! लेकर भाग नहीं जाउंगी! जैसे ही वह चाँद पर रहनेवाला आदमी दिख जाये..... मुझे इशारा कर देना. मैं कार से उसे ऐसा धक्का मारूंगी कि वह गिर जाएगा; फिर तू सामने आकर उसका कॉलर पकड लेना! ठीक है?"


" सब झूठ है , जायका! सब बकवास है, चाँद पर कोई नहीं रहता । " नामिका ने ठहाका लगाया.
" देख, देख! वह आदमी, कालासा.... भेन्गासा, काके के ढाबे में घुस रहा है। मैं शर्तिया कह रही हूँ कि वह चाँद पर से ही आया है। अरे उसकी शकल ही ऐसी है... देख तो ध्यान से...." कहते हुए मैं उस आदमी की तरफ ध्यान से देख रही थी।


....लेकिन मैं जा कार उसे पकड़ लूं ; इससे पहले वह नमिता कि खुली हुई कार में जाकर बैठ गया और कार ले उड़ा. मेरे साथ खड़ी नमिता 'पुलिस' ' पुलिस' करती रह गई।

...पुलिस भी आई लेकिन कुछ नही कर पाई। पुलिस ने भी कहा कि चाँद पर आदमी रहते है.... कल ही टीवी समाचारों में बताया गया है।

..अब हंसनेकी और ठहाका लगानेकी बारी मेरी थी.... मैं चुनाव जीत गई थी। चाँद पर आदमी रहता है.....ये मेरा कहना पुलिस वाले ने सच बताया था। नमिता रो रही थी। चुनाव हारनेका ग़म तो था ही... उपरसे कर चोरी हो गई थी। अब वह आदमी चाँद से आया था , तो कार भी वह चाँद पर ही ले गया होगा...आपका क्या कहना है?

Friday 14 December 2007

हमारा पर्स गया 50000 रु गए!

हमारा पर्स गया...५००००/-रु.गए!

आज ऐसा दिन है कि हमें कोई भी नहीं हंसा सकता!....चाहे फिल्मों के टॉप कॉमेडियन जॉनी लिव्हर आए या टी वी से राजू श्रीवास्तव बाहर आ जाए! आज की सुबह, लगा था कि बहुत अच्छी है...बडा मोटा लाभ कराने वाली है, लेकिन सब गुड़-गोबर होना था और हो ही गया. लाभ की जगह मोटी हानी हो गई...हमारा पर्स गया.


...हमें अपनी पुरानी सहेली नामिका मिल गई.गुड-मौर्निंग का आदान-प्रदान होते ही उसने अपने ठेठ देसी अंदाज़ में हमें काम सौप दिया.कहने लगी....


"जायका एक अर्जंट काम करना है तूझे!"


" मै? और काम?....काम कितने भी ज़रुरी क्यों न हो, मै तो आज का काम कल और कल का परसो ही करने में विश्वास करती हूं. तू भूल गई क्या मेरी आदत?" हमने ज़वाब दे डाला.


"देख जायका! अब मना मत कर.ये ले मेरी कार की चाभी और ये ले चैक! अभी बैक जा कर पैसे निकाल कर मुझे दे जा. हां! आज सारा दिन मेरी कार तेरे ही पास रहेगी...जा ऐश कर! तू भी क्या याद करेगी कि कोई सहेली नामिका मिली थी!" नामिका उसकी नई,गोल्डन कलर की कार की चाभी पकड़ाती हुई बोली.


...अब हमारी बांछे खिल गई. हमने लपक कर कार की चाभी और चैक पकड़ लिया.चैक भी मोटा-50000/-रु.का था.हम खुश हुए.


..फौरन कार स्टार्ट की... और लंबे रास्ते से कार दौड़ाते हुए, बैक पहुंच गए.वहां सारी लेड़ीज ही थी....मज़ा नहीं आया और काम ज्ल्दी हो गया.50000/-रु.हमने अपने उसी इम्पोर्टेड पर्स में रख दिए.बैक के अकड़ते हुए बाहर आए, धूप का काला चश्मा पहना जो नामिका का ही था और पर्स अपनी साथ वाली सीट पर रख कर कार स्टार्ट की!


अहाहा! हम जा रहे थे....कि हमारी नज़र एक बोर्ड पर पड़ी! लिखा था...शादी करनी है? मनचाहा जीवनसाथी चाहिए? तो फौरन प्रो.टेम्बे से मिलिए!



हमने कार को ब्रेक लगाया और प्रो.टेम्बे की दुकान के सामने कार पार्क कर दी. बाहर कदम रख ही रहे थे कि दो 'हाय हैन्डसम' सामने दिख गए.हमें देख कर मुस्कराते हुए नज़दीक भी आ गए...


"ओह मैडम! आपके पैसे देखिए नीचे गिर गए है.हमारे हाथ में पैसे नहीं थे...वह तो पर्स मे थे...फिर भी हमने नीचे देखा तो सौ और पांचसो के चार-पांच नोट हमारी कार के पास बिखरे पड़े थे.हम ने सोचा....'हम अगर उठा लेते है तो नोट हमारे ही हो जाएंगे! प्रो.टेम्बे की फीस देने के काम आएंगे.'हम फौरन नोट उठाने लग गए. हमारी कार का दरवाज़ा खुला ही था कि....


उन दो में से एक हैंडसम ने फुर्ती से हमारा पर्स निकाल लिया...दूसरा हैंडसम मोटर साइकिल लेकर उसके पास आ गया. पलक झबकते ही पहले वाला हैंडसम हमारा पर्स बगल में दबाए उसके पीछे बैठ गया और ....मोटर साइकल छू हो गया.



अब हमें होश आया कि हमारा पर्स किडनेप हो गया है.हम चिल्लाए...पुलिस आ पहुंची.कंप्लेन लिखि गई और हम बिना प्रो. टेम्बे से मिले वापस चल पड़े. नामिका ने हमसे कार की चाभी छीन ली, अपना चश्मा भी झपटा मार कर ले लिया और सवासो गालियां दी.... और फिर कभी शकल दिखाने से मना कर दिया.



नामिका के तो सिर्फ रु.50000 ही गए....लेकिन हमारा तो इम्पोर्टेड पर्स चला गया, जो हमें फ्री में मिला हुआ था!

Thursday 13 December 2007

स्कूल-बैग कहाँ मिलेंगे ? सस्ते और टिकाऊ...


हमारे से गलती हो गई। हमारी अमरिका वाली फ्रैंड ने हमारे लिए ....पर्स भेजा था। अजी भेजा क्या था....हमने ही बदोबदी मंगवाया था. झूठ बोल दिया था कि, हम शादी करने वाले है और हमें एक इम्पोर्टेड पर्स चाहिए। हम ने यह भी बोल दिया था कि लड़के को दहेज़ देने के बाद हमारे पास पर्स खरीदने के पैसे तो बचेंगे नही...तो वहां से अगर पर्स मिल जाता है , तो हमारी यह प्रोब्लम तो सोल्व हो ही जायेगी।


...जैसे-तैसे पर्स हमारे पास पहुंच ही गया। पर्स अच्छा तो था... पर पुराना लग रह था। कोई बात नही; हमने कौन सा ख़रीदा था!


...लेकिन भगवान, खुदा और जिजस को हमारी शादी मंजूर होती तो बात ही क्या थी जी? नही हुई हमारी शादी और हम इम्पोर्टेड पर्स ले कर के घुमते रह गए।

..हमारी अमरिका वाली सहेली को यकायक हमारी याद आई। फोन आ गया.....

" तेरी शादी हो गई मोटी? "वह हमे बचपन से ही मोटी कहकर बुलाती है ।

" नही हुई भैंगी!"हम उसे भैंगी कहते आये है। हम ने भी जोरदार अंसर दे डाला।

" हमेशा की तरह इस बार भी झूठ?.... लेकिन कोई बात नही मोटी! हिम्मत मत हारना .... कोई तो मोटू होगा ही अबतक कुंवारा, मिल जाएगा!" भैंगी के दिलासे से हम थोडा खुश हुए।

" बोल अब भैंगी...फोन क्यों किया? मतलब की बात बोल....मेरे पास टाइम नही है। एक लड़का देखने जाना है।" हम घडी देखते हुए बोले।


" तू जा ही रही है तो जल्दी निकल जा। पहले बाजार से मेरे बेटे के लिए एक स्कूल-बैग खरीद लेना समझी ? मैंने जो पर्स भेजा है.... उसी कलर का होगा तो भी चलेगा! जल्दी भिजवा भी देना और सुन..." हमने फोन बंद कर दिया था। एक पर्स के बदले एक स्कूल-बैग मंगवा रही थी....कंजूस , मक्खीचूस कहीं की !


अब हम बाजार में स्कूल-बैग ढूंढ रहे है...... सस्ता और टिकाऊ कहीं से मिल जाये। लड़का तो बाद में भी देखा जा सकता है !

Wednesday 12 December 2007

हम ज्वैलरी खरीदने बाज़ार गये....


हमारी शादी का तो कोई अता-पता अब तक नहीं था....लेकिन कहींसे हमारी कमाई तो हो ही गई.किसी को मत बता इए कि हम आजकल ब्लोग लिख रहे है और इससए हमें मोटी कमाई भी हो रही है.

...तो हम कह रहे थे कि हम ज्वैलरी खरीदने बाज़ार चले गए.आहाहा! बाज़ार की जो रौनक थी हम क्या बताएं! यह दिल्ली के करोलबाग की मार्किट थी.हाय तौबा! इतनी भीड़ थी कि हमे लगा कि हम सही जगह पर आ गए.हम भीडक्का शुरु से ही पसंद करते आए है.


एक शॉप में हम दखिल हुए.हमारे कंधे पर मोटासा अमरिकी पर्स लटक रहा था;जो हमारी सहेली डेकोरिना ने अमेरिका से खास हमारे लिए ही भेजा था.शादी का तौफा कह कर भेजा था...पर यहां शादी का कोई दूर दूर तक भी होने का अंदेशा नहीं था.

हम अब डायमंड सेट देखने लग गए...किमत सुनते ही हमें छींकें आनी शुरु हो गई.तो हम अब सोने के सेट देखने दूसरे का उंटर पर चले गए.यहां भी कोई बात बनी नहीं और हम आखिर में एक रींग-अंगुठी खरीद कर ज्वैलरी शॉप से बाहर आ गए.


Tuesday 11 December 2007

friendship नहीं....हम तो शादी करेगा!

फ्रैन्डशीप नहीं...हम तो शादी करेगा!


हम एक ज्योतिषी के पास आखिर पहुंच ही गए। ज्योतिषी भी उतने ही पहुंचे हुए माने जाते थे।क्या टी वी और क्या अख़बार! सब जगह थी ...उनकी जय जयकार!


" जल्दी बताइए महाराज, हमारी शादी कब तक होगी?" हम थोड़े जल्दीमें तो थे ही!

" कुंडली है बालिके?" ज्योतिषी को कोई जल्दी नहीं थी।

" नहीं है...तो क्या बिना कुंडली के शादी नहीं हो सकती प्रभू?" हमने प्रभू कहते हुए उन्हें और उंचा दर्जा दे डाला.

"नहीं है तो कोई बात नहीं।हम हाथ देख कर भी बता सकते है!" प्रभू बोले।

हमने हाथ आगे बढ़ाया और प्रभू देखें...इससे पहले उनका मोबाइल बज उठा...
अब् एक हाथ में हमारा हाथ थामे और दूसरे हाथ से मोबाइल कान से लगाए वे बोलते चले गए...

" हैलो! कौन?"

"????"

" हमारी हाथ देखने की फीस 1000/-रु।है।" वह अपनी फीस बता रहे थे।

"????"
" हां जी! भविष्य बतानेकी 5000/-रु.और संकट निवारण 10000/-रु.है." प्रभू अमृतवाणी बोले जा रहे थे और हम अपना हाथ ज्योतिषी के हाथ से छुडवाने के लिए ज़ोर लगा रहे थे


प्रभू की फीस इस समय हमारी जेब खाली करवाने के लिए पर्याप्त थी.जोर लग गया और हमने हाथ छुड़ाने में सफलता हासिल कर ली.

" आ जाते है टूट पूंजे!"ज्योतिषी बडबडाया।

" क्या बोला रे तू?" हमारे पीछे से आवाज़ आई.
हमने मूड़ कर देखा तो एक हैंडसम लडका था.शायद यह भी अपनी शादी 'कब होगी.. या नहीं होगी' वगैरा पूछने आया था. उसने भी फीस का अमाउंट जान ही लिया. अब यह भीडू अपनी तरफसे यानी कि मेरी तरफ से बोल रहा था.हम खुश हुए.

" तेरी दुकान हम बंद करवा देंगे...फ्रौड कहीं का!" अब हमने ज्योतिषीको प्रभू से फ्रौड बना दिया।

" ये मेरा घर है...दुकान नहीं है,क्या समझे!" ज्योतिषी ने अब हमें घरसे बाहर का रास्ता दिखा दिया. अब हम दो थे...

"यार! टैरो कार्ड रीड़र के पास चलते है।" हम ने उस हैंडसम से कहा।

" ऐसा करते है... हम दोनों फ्रैन्ड बन जाते है.हो सकता है शादी की समस्या हल भी हो जाए!" वह मासूमियत जताते हुए बोला.

" नहीं...हमे फ्रैन्डशीप के चक्कर में नहीं पड़ना है।हम तो चले टैरो कार्ड रीड़र के पास...शायद उसकी फीस कुछ कम हो!" कहते हुए हम ने ऑटो वाले को रोक लिया...