Friday 14 December 2007

हमारा पर्स गया 50000 रु गए!

हमारा पर्स गया...५००००/-रु.गए!

आज ऐसा दिन है कि हमें कोई भी नहीं हंसा सकता!....चाहे फिल्मों के टॉप कॉमेडियन जॉनी लिव्हर आए या टी वी से राजू श्रीवास्तव बाहर आ जाए! आज की सुबह, लगा था कि बहुत अच्छी है...बडा मोटा लाभ कराने वाली है, लेकिन सब गुड़-गोबर होना था और हो ही गया. लाभ की जगह मोटी हानी हो गई...हमारा पर्स गया.


...हमें अपनी पुरानी सहेली नामिका मिल गई.गुड-मौर्निंग का आदान-प्रदान होते ही उसने अपने ठेठ देसी अंदाज़ में हमें काम सौप दिया.कहने लगी....


"जायका एक अर्जंट काम करना है तूझे!"


" मै? और काम?....काम कितने भी ज़रुरी क्यों न हो, मै तो आज का काम कल और कल का परसो ही करने में विश्वास करती हूं. तू भूल गई क्या मेरी आदत?" हमने ज़वाब दे डाला.


"देख जायका! अब मना मत कर.ये ले मेरी कार की चाभी और ये ले चैक! अभी बैक जा कर पैसे निकाल कर मुझे दे जा. हां! आज सारा दिन मेरी कार तेरे ही पास रहेगी...जा ऐश कर! तू भी क्या याद करेगी कि कोई सहेली नामिका मिली थी!" नामिका उसकी नई,गोल्डन कलर की कार की चाभी पकड़ाती हुई बोली.


...अब हमारी बांछे खिल गई. हमने लपक कर कार की चाभी और चैक पकड़ लिया.चैक भी मोटा-50000/-रु.का था.हम खुश हुए.


..फौरन कार स्टार्ट की... और लंबे रास्ते से कार दौड़ाते हुए, बैक पहुंच गए.वहां सारी लेड़ीज ही थी....मज़ा नहीं आया और काम ज्ल्दी हो गया.50000/-रु.हमने अपने उसी इम्पोर्टेड पर्स में रख दिए.बैक के अकड़ते हुए बाहर आए, धूप का काला चश्मा पहना जो नामिका का ही था और पर्स अपनी साथ वाली सीट पर रख कर कार स्टार्ट की!


अहाहा! हम जा रहे थे....कि हमारी नज़र एक बोर्ड पर पड़ी! लिखा था...शादी करनी है? मनचाहा जीवनसाथी चाहिए? तो फौरन प्रो.टेम्बे से मिलिए!



हमने कार को ब्रेक लगाया और प्रो.टेम्बे की दुकान के सामने कार पार्क कर दी. बाहर कदम रख ही रहे थे कि दो 'हाय हैन्डसम' सामने दिख गए.हमें देख कर मुस्कराते हुए नज़दीक भी आ गए...


"ओह मैडम! आपके पैसे देखिए नीचे गिर गए है.हमारे हाथ में पैसे नहीं थे...वह तो पर्स मे थे...फिर भी हमने नीचे देखा तो सौ और पांचसो के चार-पांच नोट हमारी कार के पास बिखरे पड़े थे.हम ने सोचा....'हम अगर उठा लेते है तो नोट हमारे ही हो जाएंगे! प्रो.टेम्बे की फीस देने के काम आएंगे.'हम फौरन नोट उठाने लग गए. हमारी कार का दरवाज़ा खुला ही था कि....


उन दो में से एक हैंडसम ने फुर्ती से हमारा पर्स निकाल लिया...दूसरा हैंडसम मोटर साइकिल लेकर उसके पास आ गया. पलक झबकते ही पहले वाला हैंडसम हमारा पर्स बगल में दबाए उसके पीछे बैठ गया और ....मोटर साइकल छू हो गया.



अब हमें होश आया कि हमारा पर्स किडनेप हो गया है.हम चिल्लाए...पुलिस आ पहुंची.कंप्लेन लिखि गई और हम बिना प्रो. टेम्बे से मिले वापस चल पड़े. नामिका ने हमसे कार की चाभी छीन ली, अपना चश्मा भी झपटा मार कर ले लिया और सवासो गालियां दी.... और फिर कभी शकल दिखाने से मना कर दिया.



नामिका के तो सिर्फ रु.50000 ही गए....लेकिन हमारा तो इम्पोर्टेड पर्स चला गया, जो हमें फ्री में मिला हुआ था!

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