
ओसामा, ओबामा या सुदामा...
सभी में समाया 'आमा'!
...एक जगराते में..याने कि जागरण में...हमारा जाना हुआ!....जगराता 'माता' का था...लेकिन जैसे कि आप सभी जानते है, सिर्फ 'माता' का नाम या भजनों से काम नहीं चलता!...जगराते में शिवजी, कृष्ण कन्हैया, राधा, राम-लक्ष्मण-सीता और अनेक देवी-देवताओं को एंट्री दी जाती है!..अब तो श्री सत्य साईबाबा भी शामिल हो चुके है....लगता है आगामी कुछ सालों में महात्मा गांधी और अंबेडकर भी शिरकत करें!
...तो हम जागरण याने कि जगराते का आनंद लूट रहे थे!....एक के बाद एक देवी-देवताओं का आगमन होता रहा...जयजय-कार होती रही!...वातावरण भजनों के रस से सराबोर होता रहा!....ऐसे में हमारी फिल्में कमाल दिखाती है...फ़िल्मी गानों की धुनों पर श्रोतागण भजनों का खूब आनंद गटकते है!....जागरण में राम-सीता के वनवास का वर्णन किया जा रहा था....राम सीता माता से अपने प्यार का इजहार कर रहे थे...महाराज श्री ने भजन छेड़ दिया और श्रोता गण प्रेम-रस में डूब गए...राम जी , जानकी मैया से कह रहे थे....
" सौ साल पहले मुझे तुमसे प्यार था, मुझे तुमसे प्यार था...आज भी है और कल भी रहेगा!..वाह , वाह...श्रोता गण मंत्र-मुग्ध हो रहा था..तालिया बजा रहा था!...राम-सीता के अलौकिक प्रेम की कहानी को गले से नीचे उतार रहा था..कुछ श्रोता महाराज श्री के साथ गा भी रहे थे...
...इसके बाद...संत मीरा बाई के एक भजन को चांस दिया गया...श्रोता गण झुमने लगा!...'राधा का भी शाम हो तो मीरा का भी शाम ....अब मीरा और राधा के बिना श्याम तो अधूरे ही माने जाते है...सो कृष्ण कन्हैया की कहानी आलापी गई!...वाह, वाह!...राधा का कृष्ण-प्रेम क्या कहने!..अब बारी आई कृष्ण और सुदामा की!
...कहानी शुरू हुई उनके बचपन के प्यार की!...करते करते जवानी तक पहुंच गई!...समय ने करवट बदली कृष्ण द्वारकाधीश बन गए!,,, उन्हें राजगद्दी मिल गई! ...लेकिन सुदामा के समय ने करवट बदली ही नहीं!..वह पहले भी फटेहाल थे और शादी के बाद, बच्चे पैदा होने के बाद भी ....बेचारे गरीबी से झुझते रह गए!...अब भाग्य पर किसका बस चलता है, जो सुदामा का चलेगा?
...लेकिन सुदामा ने हिम्मत हारी नहीं ..वे अपने बचपन के सखा 'कृष्ण ' से मिलने द्वारकापुरी चले गए... हो सकता है ,बचपन का प्रेम कोई कारनामा कर दिखाए...
...और महाराज श्री ने एक फ़िल्मी कव्वाली की धुन का इस्तेमाल करते हुए भजन आरम्भ किया..." अरे पहरेदारों !...कन्हैयासे कह दो ...सुदामा महल के करीब आ गया है!...लोग तालियाँ बजा रहे है...महाराज श्री का गाने में भी साथ दे रहे है...अब हमने भी गाने में साथ देना शुरू कर दिया.....'सुदामा महल के करीब आ गया है!'
...रात गहरा रही थी और हमें नींद ने धर दबोचा ...अब सपने में हमें एक सुंदर सा महल दिखाई दे रहा था...चारो और लहलहाते खेत, हरेभरे पेड़ ...अहाहा..हा ...क्या सीन था! ...शायद यह पाकिस्तान के एबटाबाद का इलाका था...महल ओसामा का था ...महल पर एक हैलिकोप्टर मंडरा रहा था !...हैलिकोप्टर अमेरिका का ही होने का अंदेशा भी हमें हो गया ....इधर महाराज श्री गा रहे थे...सुदामा महल के करीब आ गया है...अब हमारे मुंहसे छूटते ही निकल गया...
"...अरे पाक वालों !..ओसामा से कह दो...ओ,ओ.....ओबामा महल के करीब आ गया है!"
..और जमा लोग भी नींद की ही गिरफ्त में थे ...वे भी हमारा साथ देने लग गए...'ओबामा महल के करीब आ गया है!'.....'ओबामा महल के करीब आ गया है!'
...और महाराज श्री भजन गाना छोड़ कर माइक पर चिल्लाए..." ये क्या तमाशा हो रहा है?...ये ओसामा ...ये ओबामा बीच में कहाँ से टपक पड़े?..."
॥
और सोए हुए लोग जाग गए...हम भी जाग गए...अब भजन फिर पूर्ववत गाया जाने लगा...कन्हैया और सुदामा की जयजय-कार हुई...
...ठीक इस के दो दिन बाद...जगराते में देखा गया हमारा सपना सच हो गया और ओबामा ने ओसामा को धर दबोचा!....
...अब हम 'हे राम' को ...ओ रामा! कहेंगे ...और 'हे शाम' को ...ओ शामा! कहेंगे! किसी को हर्ज है?....अगर दूसरे ब्लोगर साथियों को सपने आते है और वे सच हो जाते है..तो हम भला पीछे क्यों रहेंगे...जय हो...ओरामा!...जय हो ओशामा!
( फोटो गूगल से ली हुई है!)
...एक जगराते में..याने कि जागरण में...हमारा जाना हुआ!....जगराता 'माता' का था...लेकिन जैसे कि आप सभी जानते है, सिर्फ 'माता' का नाम या भजनों से काम नहीं चलता!...जगराते में शिवजी, कृष्ण कन्हैया, राधा, राम-लक्ष्मण-सीता और अनेक देवी-देवताओं को एंट्री दी जाती है!..अब तो श्री सत्य साईबाबा भी शामिल हो चुके है....लगता है आगामी कुछ सालों में महात्मा गांधी और अंबेडकर भी शिरकत करें!
...तो हम जागरण याने कि जगराते का आनंद लूट रहे थे!....एक के बाद एक देवी-देवताओं का आगमन होता रहा...जयजय-कार होती रही!...वातावरण भजनों के रस से सराबोर होता रहा!....ऐसे में हमारी फिल्में कमाल दिखाती है...फ़िल्मी गानों की धुनों पर श्रोतागण भजनों का खूब आनंद गटकते है!....जागरण में राम-सीता के वनवास का वर्णन किया जा रहा था....राम सीता माता से अपने प्यार का इजहार कर रहे थे...महाराज श्री ने भजन छेड़ दिया और श्रोता गण प्रेम-रस में डूब गए...राम जी , जानकी मैया से कह रहे थे....
" सौ साल पहले मुझे तुमसे प्यार था, मुझे तुमसे प्यार था...आज भी है और कल भी रहेगा!..वाह , वाह...श्रोता गण मंत्र-मुग्ध हो रहा था..तालिया बजा रहा था!...राम-सीता के अलौकिक प्रेम की कहानी को गले से नीचे उतार रहा था..कुछ श्रोता महाराज श्री के साथ गा भी रहे थे...
...इसके बाद...संत मीरा बाई के एक भजन को चांस दिया गया...श्रोता गण झुमने लगा!...'राधा का भी शाम हो तो मीरा का भी शाम ....अब मीरा और राधा के बिना श्याम तो अधूरे ही माने जाते है...सो कृष्ण कन्हैया की कहानी आलापी गई!...वाह, वाह!...राधा का कृष्ण-प्रेम क्या कहने!..अब बारी आई कृष्ण और सुदामा की!
...कहानी शुरू हुई उनके बचपन के प्यार की!...करते करते जवानी तक पहुंच गई!...समय ने करवट बदली कृष्ण द्वारकाधीश बन गए!,,, उन्हें राजगद्दी मिल गई! ...लेकिन सुदामा के समय ने करवट बदली ही नहीं!..वह पहले भी फटेहाल थे और शादी के बाद, बच्चे पैदा होने के बाद भी ....बेचारे गरीबी से झुझते रह गए!...अब भाग्य पर किसका बस चलता है, जो सुदामा का चलेगा?
...लेकिन सुदामा ने हिम्मत हारी नहीं ..वे अपने बचपन के सखा 'कृष्ण ' से मिलने द्वारकापुरी चले गए... हो सकता है ,बचपन का प्रेम कोई कारनामा कर दिखाए...
...और महाराज श्री ने एक फ़िल्मी कव्वाली की धुन का इस्तेमाल करते हुए भजन आरम्भ किया..." अरे पहरेदारों !...कन्हैयासे कह दो ...सुदामा महल के करीब आ गया है!...लोग तालियाँ बजा रहे है...महाराज श्री का गाने में भी साथ दे रहे है...अब हमने भी गाने में साथ देना शुरू कर दिया.....'सुदामा महल के करीब आ गया है!'
...रात गहरा रही थी और हमें नींद ने धर दबोचा ...अब सपने में हमें एक सुंदर सा महल दिखाई दे रहा था...चारो और लहलहाते खेत, हरेभरे पेड़ ...अहाहा..हा ...क्या सीन था! ...शायद यह पाकिस्तान के एबटाबाद का इलाका था...महल ओसामा का था ...महल पर एक हैलिकोप्टर मंडरा रहा था !...हैलिकोप्टर अमेरिका का ही होने का अंदेशा भी हमें हो गया ....इधर महाराज श्री गा रहे थे...सुदामा महल के करीब आ गया है...अब हमारे मुंहसे छूटते ही निकल गया...
"...अरे पाक वालों !..ओसामा से कह दो...ओ,ओ.....ओबामा महल के करीब आ गया है!"
..और जमा लोग भी नींद की ही गिरफ्त में थे ...वे भी हमारा साथ देने लग गए...'ओबामा महल के करीब आ गया है!'.....'ओबामा महल के करीब आ गया है!'
...और महाराज श्री भजन गाना छोड़ कर माइक पर चिल्लाए..." ये क्या तमाशा हो रहा है?...ये ओसामा ...ये ओबामा बीच में कहाँ से टपक पड़े?..."
॥
और सोए हुए लोग जाग गए...हम भी जाग गए...अब भजन फिर पूर्ववत गाया जाने लगा...कन्हैया और सुदामा की जयजय-कार हुई...
...ठीक इस के दो दिन बाद...जगराते में देखा गया हमारा सपना सच हो गया और ओबामा ने ओसामा को धर दबोचा!....
...अब हम 'हे राम' को ...ओ रामा! कहेंगे ...और 'हे शाम' को ...ओ शामा! कहेंगे! किसी को हर्ज है?....अगर दूसरे ब्लोगर साथियों को सपने आते है और वे सच हो जाते है..तो हम भला पीछे क्यों रहेंगे...जय हो...ओरामा!...जय हो ओशामा!
( फोटो गूगल से ली हुई है!)