कभी कभी , जब मन बेहद उदास होता है तो इस तरह की रचना दिल से निकलती है । कोई नहीं जिससे मन की बात कही जा सके , इसलिए लेखनी चलती है । और अशांत मन को थोडा सा सुकून मिलता है । जब भी कोई बहुत निजी पोस्ट लिखती हूँ तो कमेन्ट आप्शन बंद रखती हूँ। डरती हूँ ताने मारने वालों से।
उससे भी ज्यादा डरती हूँ प्यार करने वालों से । क्यूंकि प्यार करने वाले मुझे इतने करीब से जानने लगे हैं की वे मेरी रचनाओं में उभरते भावनाओं के उफान को बखूबी समझ लेते हैं । उनका स्नेह और बडप्पन मुझे कमज़ोर कर देता है , भावुक हो जाती हूँ।
ये आपका प्यार ही तो है , जिसने मुझसे इतना कुछ लिखवा लिया यहाँ पर। कभी मिली नहीं हूँ आपसे , लेकिन जाने क्यूँ इतना खिंचती चली आती हूँ आपके पास । संकोच वश ज्यादा लिख नहीं पाती , बस इतना ही कहूँगी --"जो ढूंढती हूँ , वो आपके पास आकर मिल जाता है"
gujarati hain hawayen har shay se hokar , leti nahin dene ke ke siva, ek fasafa unka bhi , banata hai pyar ka --/ bahut achhi nazm.... तुम तो फूलों से भी ज्यादा नाज़ुक हो , प्यार क्या करोगे हम तो कायल हैं उन झोकों के , जो 'लोहे' को सहला कर गुज़र जाते हैं । be stone as you.
@ Dr. Divya अच्छी रचना पर टिप्पणी से सूक्ष्म-सा भय बुरा नहीं होता. यह जीवन के कई जीवित पहलुओं को छूता है. अतः अपने ब्लॉग को टिप्पणियों के लिए कृपया खोल दें.
हाँ यहाँ आने के बहाने एक अच्छा और नया ब्लॉग जानकारी में आया.
झील,दिव्व्या जी हम तो काफ़ी देर अपने माऊस को ही कोसते रहे, टिपण्णी देने के लिये, फ़िर अचनाक नजर पडी की आज तो टिपण्णी की हडताल हे, इतनी सुंदर रचना के लिये सुंदर से विचार मन मे आये थे उस समय
12 comments:
तुम एक सुंदर झील हो...गहराई लिए हुए हो...
आज यह, इतना उफान कैसे?...कुछ तो समझाओ!
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आदरणीय डॉ अरुणा ,
कभी कभी , जब मन बेहद उदास होता है तो इस तरह की रचना दिल से निकलती है । कोई नहीं जिससे मन की बात कही जा सके , इसलिए लेखनी चलती है । और अशांत मन को थोडा सा सुकून मिलता है । जब भी कोई बहुत निजी पोस्ट लिखती हूँ तो कमेन्ट आप्शन बंद रखती हूँ। डरती हूँ ताने मारने वालों से।
उससे भी ज्यादा डरती हूँ प्यार करने वालों से । क्यूंकि प्यार करने वाले मुझे इतने करीब से जानने लगे हैं की वे मेरी रचनाओं में उभरते भावनाओं के उफान को बखूबी समझ लेते हैं । उनका स्नेह और बडप्पन मुझे कमज़ोर कर देता है , भावुक हो जाती हूँ।
ये आपका प्यार ही तो है , जिसने मुझसे इतना कुछ लिखवा लिया यहाँ पर। कभी मिली नहीं हूँ आपसे , लेकिन जाने क्यूँ इतना खिंचती चली आती हूँ आपके पास । संकोच वश ज्यादा लिख नहीं पाती , बस इतना ही कहूँगी --"जो ढूंढती हूँ , वो आपके पास आकर मिल जाता है"
अभिवादन स्वीकार करें ।
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हमने भी कमेण्ट तैयार कर लिया था, लेकिन कमेण्ट डिब्बी ही बन्द मिली।
जहां कहीं भी मेरा कमेण्ट जाता है तो समझो वो चीज मेरे लिये कुछ खास है।
divya ji,
जब ह्रदय बोलता है तो कविता लिख दिया करना
जब मन बोलता है विचार लिख दिया करना
अपने आप उदासी भाग जाया करेगी !
बहुत सुंदर लिखा है .........
बहुत सुंदर..क्या बात है
हो जाओ तुम भी शामिल उस कतार में,
जहां मेरा प्यार बरसता है।
बहुत सुन्दर। साधुवाद।
zeal ji
aap likhte rahen
anteem ke pankti bahut acche hain
jo jeevan sangharsh aur sah astitva ko bata rahe hain
good wishes...:):)
maine ek kavita ko dekhkar ye lines likhi thi "kalam par"
ye samarpit hai
sabhi lekhani ko pyaar karne waalon ke liye
ठहरी ,अर्थहीन
स्याह में लाती
ये मेरे मन के तरंगो की रवानी है !
हर पन्ने पर ये चलती है ,
इसे मुझको राह दिखानी है ,
ये लिखती मेरी कहानी है!
gujarati hain hawayen
har shay se hokar ,
leti nahin dene ke ke siva,
ek fasafa unka bhi ,
banata hai pyar ka --/
bahut achhi nazm....
तुम तो फूलों से भी ज्यादा नाज़ुक हो , प्यार क्या करोगे
हम तो कायल हैं उन झोकों के , जो 'लोहे' को सहला कर गुज़र जाते हैं ।
be stone as you.
@ Dr. Divya
अच्छी रचना पर टिप्पणी से सूक्ष्म-सा भय बुरा नहीं होता. यह जीवन के कई जीवित पहलुओं को छूता है. अतः अपने ब्लॉग को टिप्पणियों के लिए कृपया खोल दें.
हाँ यहाँ आने के बहाने एक अच्छा और नया ब्लॉग जानकारी में आया.
हम तो कायल हैं उन झोकों के , जो 'लोहे' को सहला कर गुज़र जाते हैं ।
Nice one...
DIVYA JI,YOU ARE A REAL IRON LADY!
झील,दिव्व्या जी हम तो काफ़ी देर अपने माऊस को ही कोसते रहे, टिपण्णी देने के लिये, फ़िर अचनाक नजर पडी की आज तो टिपण्णी की हडताल हे, इतनी सुंदर रचना के लिये सुंदर से विचार मन मे आये थे उस समय
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