S...आज हम खुशवंत सिंहजी पर मेहरबान... S
खुशवंत सिंहजी का परिचय देने वाले हम कौन होते है?... फ़िर भी बात का बतंगड़ बनाना ठान ही लिया है, तो इनका परिचय अपने शब्दों में दे ही देते है!
खुशवंत सिंहजी ! पहली बात तो यह कि कुदरत आप पर मेहरबान है और आप सरदारजी है!... तो ,बाई डि-फॉल्ट खुश मिजाज है!... लोगों को देख कर आप खुश होते हो, या ना हो.......लेकिन लोग तो आप कि झलक पाते ही हास्य की मुद्रा में आ जाते है!
दूसरी बात ये है कि आप अंग्रेजों के जमाने के पत्रकार है !....जेलर नहीं है!
तीसरी बात हमें सबसे ज्यादा पसंद है... वो यह की आप हिन्दी में अपनी कलम चलातें है!
चौथी बात यह कि आप कि उम्र 85 के अन्दर बाहर होते हुए भी आप रंगीन मिजाज है!...आप की रंगीली-रसीली चटपटी हरकतों का पुलिंदा खोला जाए ...तो एक पोस्ट लिख कर काम नहीं चलने वाला! ... अभी ज्यादा नहीं, चार-पाँच साल पहले ही आप ने एक भरी सभा में .... एक पाकिस्तानी डिप्लोमेट की जवान और खुबसूरत बेटी का ...........छोडिये भी, हम भी कैसी बात ले बैठे! ....लेकिन उस समय जो हंगामा हुआ था; वो तो हमे अच्छा नही लगा खुशवंत सिंहजी !... आप तो बुझुर्ग है और तब भी थे!...इस कदर आप की पगडी उछालना लोगों को शोभा नही देता .....क्या?
...तो इनका परिचय देने के बाद हम यह कहने जा रहे है कि 18 अक्टूबर 2008 के हिन्दुस्तान अखबार में हम इनका एक लेख पढ़ कर बाग़ बाग़ हो उठे! लेख था ' बुरा मानो या भला : कौन होगा अगला प्रधानमन्त्री !
....अब सरदारजी कह रहे है कि.... हालिया प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंहजी जब भी, जो भी कहते है...ठीक ही कहते है ...कि अभी बहुत समय बाकी है, अभी से नए प्रधानमन्त्री के बारे में सोचना ठीक नहीं है!...वगैरा, वगैरा! तो इस पर पब्लिक को यहाँ क्या आपत्ति हो सकती है ?
....लेकिन खुशवंत सिंहजी को मनमोहन सिंहजी में इतनी खुबियाँ नजर आई कि उनका वर्णन करना मुश्किल है!...वैसे खुशवंत सिंहजी पत्रकार है... तुरंत पलटी मारनी भी इन्हे आती है!....आगे कहते है कि मनमोहन सिंहजी में खामियां भी है .......और सुनो!....खामियां भी खुशवंत सिंहजी ऐसी गिनावातें है कि उन्हें हम और आप खामियों का दरज्जा दे ही नही सकतें!...कहतें है कि मनमोहन सिंहजी नारेबाजी नही करतें, चिल्लाकर नही बोलतें... ये तो खामियों की आड़ में फ़िर खूबियाँ ही गिनवा दी न सरदारजी ने!
इस लेख में लालकृष्ण आडवाणीजी की भी खूबियां और खामियां इन्होंने गिनवाई है ; जो सिर्फ़ खामियां ही है!...
...तो पता चला की खुशवंत सिंहजी एक हाथ से कोंग्रेस की पीठ सहला रहे है और दूसरे हाथ से बी. जे .पी. का कान मरोड़ रहे है!
खैर! .....खुशवंत सिंहजी जैसे मंजे हुए पत्रकार तटस्थ रहकर लेख लिखतें, तो पढ़ने में जो मज़ा अब आया....वो तब तो ना आता न?... और फ़िर हमारी भी तो सोचो...हम बात का बतंगड़ कैसे बना सकतें थे?
7 comments:
बहुत खूब | खुशवंत सिंह जी तो अपने लेखों में ख़ुद भी अपने आप को रंगीन मिजाज ही मानते है दारू के तो खास शौकीन है ये जनाब |
बहुत खुब बिल्ली की तरह से मियऊ मियऊ कोन करता है जरा इन ८५-९० जी से पुछो तो.....
अरे गरज कर बोलने वाला आदमी आजाद होना चाहिये, जेसे लाल बाहदुर शास्त्री जी थे. मेडम मेडम कहने वाला क्या बोलेगा ओर क्या तोलेगा
अजी आप भी कम मजे नहीं लिये हैं खुशवंत सिंह के नाम पर..
बहुत बढिया पोस्ट.. :)
जहाँ तक मुझे ज्ञात है खुशवंतसिंह अंग्रेजी में लिखते है, हिन्दी अनुवाद कोई और करता है.
इन्हे गम्भीरता से कौन लेता है.
jo dono taraf kee parvi kartehain we bahut kuchh pate hain.khushwant singh jee ne bhee yahi kiya hai
रहने दीजिये ना जी ...कहे को सरदार जी को तंग करते हैं आप... वो तो जैसे भी हैं ..मानते ही हैं...अब आपही को ख़ुद को छिड्वाने का मन है तो हम का करें ??...बाकी सरदार जी की तारीफ़ सरदार जी नहीं करेंगे तो क्या सरदारिनी जी करेंगी ??...अरे हाँ कहीं आप भी सरदारिनी जी ही तो नहीं !!
तारीफ़ भी ,कटाक्ष भी /ये है लेखन कला
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