Saturday 10 September 2011

हाय रे दोस्ती!...(व्यंग्य)



'दोस्ती ' टेम्पररी चीज होती है! ( व्यंग्य )

हमारी समझ में जो आया है वह यही है कि भैया! दोस्ती एक टेम्पररी चीज होती है !...

....अब आप फ़िल्मी कहानियों में उतर कर देखो तो दोस्त और दोस्ती को इतनी गहराई तक ले जाते है कि पूछो मत!...फ़िल्मी दोस्त और उनकी दोस्ती के कद को देखते हुए हम गैर फ़िल्मी लोग, अपने आप को बौनो की कैटेगरी में डालने के लिए मजबूर हो जाते है!...लगता है हम अपने दोस्त के लिए कुछ भी तो नहीं कर रहे ....कैसे मनुष्य है हम!...हम तो मनुष्य कहलवाने के भी लायक नहीं है!....और हमारा दोस्त भी यही सोचता है कि 'मै कितना स्वार्थी हूँ...मैंने तो दोस्ती के नाम को डुबो कर ...नहीं यार!...कलंकित करके रख दिया!'

...अरे फ़िल्मी कहानियों में तो एक दोस्त के लिए दूसरा दोस्त....अपनी प्रेमिका, कोठी, बंगलें, कारें और माँ-बाप तक को किनारे करने में देर नहीं लगाता!....जान तो बहुत ही सस्ती चीज होती है!....उसे भी दोस्ती के नाम कर दिया जाता है...लेकिन हम अपनी बात करें तो....हमारे लिए तो भैया यही सब चीजें प्रेमिका वगैरा वगैरा ...जी जान से प्यारी होती है!...दोस्ती के नाम हम इनमें से किसीका भी त्याग नहीं कर सकते!...दोस्ती के नाम पर हम बस! कभी कभार दोस्त के साथ चाय-पानी गटक सकते है,फिल्म देखने जा सकते है या फोन और इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकते है!...कुछ यारदोस्त लोग कपडे या पैसे उधार लेते या देते है....लेकिन उधारी के चक्कर में जब चीज वापस करने की नौबत आती है तो दोस्ती के दूध का दही बनते देर नहीं लगती!

...याद आया! अपने महान बीग बी..अमिताभ बच्चन जी...और महान राजकीय हस्ती अमर सिंह जी भी दोस्ती की नौका में कुछ ही समय पहले सवार थे...अमर सिंह जी ने तो बच्चन जी को बड़े भाई का दरज्जा दे रखा था!..दोस्ती की धूम मची हुई थी!...जहाँ भी जाते थे ...साथ साथ जाते थे...अमर सिंह जी का मुंबई का एड्रेस...बच्चन जी का घर' जलसा' या 'प्रतीक्षा' था!...सभी को याद होगा कि अमर सिंह जी ने कुछ ही साल पहले बच्चन जी के बेटे को बर्थ डे गिफ्ट के तौर पर एक बहुत महंगी कार भी दी थी...भैया! इस बात का बवंडर उठना चाहिए तो नहीं था ...लेकिन उठा था!...अब कार तो कोई भी हो...महंगी तो होगी ही...लेकिन लोगो को कहने, बोलने,लिखने या फोटोएँ दिखाने से कौन रोक सकता है? ...दोस्त्ती को लोग समझे तो कुछ बात बने!....तो उस कार की इतनी एडवरटाइज हो गई कि पूछो मत!


...लेकिन समय ने पलटा खाया....ऐसा हुआ कि इन दोनों दिग्गजों की दोस्ती का बल्ब हमने टूटते हुए देखा...बहुत कुछ हुआ ! आखरी खबर के मुताबिक़ अमर सिंह जी दिल्ली की तिहाड जेल में पहुचाएं गए...वे बीमार भी थे ...उनके बहुत से करीबी उनसे मिलने तिहाड़ जेल पहुँच भी गए ...लेकिन ऊं हूँ!..बच्चन जी नहीं गए...अब दोस्ती के बारे में हम और क्या कह सकते है?

...और भी बहुतसी फ़िल्मी हस्तियाँ और राजनीतिज्ञों के बारे में ऐसा ही देखने और सुनने को मिला....जो समय की नजाकत पहचान कर कभी दोस्त तो कभी दुश्मन के किरदार में नजर आते है!....तब हम इस नतीजे पर पहुंचें कि आम आदमी भी गया- गुजरा नहीं है!....वह भी दिग्गजों वाली हैसियत रखता है!दोस्ती की कहानियाँ सिर्फ नाटक या फिल्मों की शोभा बढाने के लिए ही होती है!...बहुत सी अन्य चीज-वस्तुओं की तरह दोस्ती भी एक टेम्पररी चीज होती है!

( फोटो गुग्गल से ली हुई है!)

21 comments:

ताऊ रामपुरिया said...

लगता तो यही है कि दोस्ती भी समयानुकुल ही होती है और खासकर तब जब बडे लोगों के बीच हो.

रामराम.

shikha varshney said...

स्वं से बढ़कर कोई रिश्ता नहीं होता आजकल दोस्ती भी नहीं .
बढ़िया व्यंग है.

ZEAL said...

सही लिखा आपने। धन्यवाद !

मनोज कुमार said...

रोचक वर्णन।

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

.



हा हाऽऽ… हा………
जब तक मुझसे काम था
दोस्त-सा उसका नाम था


…और नेता-अभिनेताओं जैसे नाटकिये ड्रामेबाज़ ! तौबा … … …

आदरणीया अरुणा जी
सादर प्रणाम !


हाय रे दोस्ती ! व्यंग्य के लिए आभार और बधाई ! अच्छा लिखा है …

आपको सपरिवार
बीते हुए हर पर्व-त्यौंहार सहित
आने वाले सभी उत्सवों-मंगलदिवसों के लिए
♥ हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आपके लौटने का स्वागत ...

जब बड़ी बड़ी हस्तियाँ दोस्ती समयानुसार करती हैं तो आम आदमी कि बात ही क्या ? अच्छा व्यंग है ..

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ said...

सटीक!
खरी-खरी!!!
आशीष
--
मैंगो शेक!!!

Asha Joglekar said...

दोस्त दोस्त ना रहा । जोरदार व्यंग ।

Atul Shrivastava said...

फिल्‍मी परदे की दोस्‍ती और वास्‍तविक जीवन की दोस्‍ती में अंतर स्‍वाभाविक है...फिर भी ऐसे दोस्‍त जमाने में हुए हैं जिन्‍होंने दोस्‍ती के लिए जान तक की परवाह नहीं की है।
आपने अच्‍छा विषय चुना और अच्‍छा लिखा है पर एक तथ्‍यात्‍मक त्रुटि की ओर आपका ध्‍यान आकर्षित करना चाहता हूं कि पिछले दिनों अमिताभ बच्‍चन दिल्‍ली गए थे औ तिहाड में उन्‍होंने अमर सिंह से मुलाकात की थी।
शेष बेहतर...

आभार आपका.......

ZEAL said...

प्रकाश पर्व की शुभकामनाएं , डॉ अरुणा। आपकी नयी पोस्ट का इंतज़ार है।

BrijmohanShrivastava said...

दीपावली केशुभअवसर पर मेरी ओर से भी , कृपया , शुभकामनायें स्वीकार करें

राज भाटिय़ा said...

आपको भी सपरिवार दीपावली की हार्दिक मंगलकामनायें!
आप का लेख बहुत पसंद आया, बिलकुल सही लिखा आज कल के हालात पर!!

संजय भास्‍कर said...

सपरिवार दीपावली की हार्दिक मंगलकामनायें!

संजय भास्‍कर said...

सपरिवार दीपावली की हार्दिक मंगलकामनायें!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

मतलब निकल गया पहचानते नहीं सुंदर सार्थक पोस्ट ,...
मेरे नए पोस्ट में स्वागत है,....

SANDEEP PANWAR said...

बेहतरीन, समय का फ़ेर है

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

सुंदर सार्थक प्रेरणादाई सटीक आलेख....

नई पोस्ट--"काव्यान्जलि"--"बेटी और पेड़"--में click करे.

ZEAL said...

Wish you a wonderful year ahead - Dr Aruna

Atul Shrivastava said...
This comment has been removed by the author.
virendra sharma said...

सीधा व्यंग्य .

कविता रावत said...

bahut badiya rochak vyang...