Monday 3 November 2008

किस्सा दूसरी औरत का

किस्सा दूसरी औरत का !



यहाँ महिलाओं की कई समस्याओं में से एक समस्या पर हम प्रकाश फेंकने की कोशिश कर रहे है!... अगर हमारी बात गले उतारने लायक या गांठ में बांधने लायक न लगे तो.... इसमें हम कुछ नहीं कर सकतें!... तो समझ लीजिए कि, ये समस्या सदियोंसे चलती आ रही है!... मुगले आज़म के जमाने में भी थी; पं जवाहरलाल जी के जमाने में भी थी; अमिताभ बच्चन- जया भादुडी के जमाने में भी थी;.....और आज भी ज्यूँ की त्यूं है!... ये समस्या दूसरी औरत की है!... बतादें कि इस पोस्ट को पुरूष भी पढ़ सकतें है! वरना बाद में कहेंगे कि.... बताया नहीं तो हम क्यों पढ़तें?



...तो दूसरी औरत का, पति के साथ का चक्कर सहन न करने वाली एक महिला ने खुदकुशी करने की ख़बर अख़बार में पढ़ी और हमारी आँखे नम हो उठी... दिल में एक टीस सी भी उठी और हमने तुंरत कलम उठा ली!


..... सोच विचार के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचें। ... वैसे सोच-विचार हम ज्यादा नहीं करते।

1. दूसरी औरत के साथ के पति के संबंध के बारे में ... किसी के कहने पर एकदम से विश्वास न करें !... हो सकता है कि कहनेवाले को कोई ग़लत-फहमी हो गई हो ...या मजे लेने के लिए उसने मन-गढ़ंत कहानी बना कर आपको सुनाई हो!

2.अगर पता भी चल चुका कि पति के जीवन में दूसरी औरत प्रवेश कर चुकी है; तो भी और धीरज से काम लेते हुए सर्व प्रथम तो पति के समक्ष यह जाहिर न होने दें कि आपको पता चल चल चुका है... क्यों कि इससे उस औरत का पति से मिलना-जुलना और भी बढ सकता है... शर्म की एक दीवार जो पति-पत्नी के बीच आवश्यक है; वह ढह सकती है।


3. पता चलने के बाद उस दूसरी औरत के साथ संबंध इतने प्रगाढ बनाएं कि उसकी अच्छाई के साथ साथ उसकी बुराइयां भी पति को नजर आएं... दूसरी औरत के साथ पैसे और दूसरी चिज-वस्तुओं का आदान-प्रदान बढाने से भी वैमनस्य पैदा हो जाता है।... 'पैसों का लेन -देन कलह पैदा करता है'... इस बात को अमल में लाए।


4.दूसरी औरत की बुराइयां पति के सामने करने से, पति की उसकी तरफ और ज्यादा झुकने की संभावना रहती है... अतः चालाकी से और ठंडे दिमाग से उस औरत को हटाने की कोशिश करे॑।...उसकी बुराई ना करें।


5. देखा गया है कि ऐसे संबंध ज्यादा नहीं चलतें... तो जल्दबाजी और गुस्से में अपने पैर पर पत्थर मार कर दूसरी औरत का मार्ग सुगम ना बनाएं। आत्महत्या की तो सोचे भी मत।... सिर सलामत तो पगडी पचास।...अरे भई॥ पति को दूसरी औरत मिल सकती है तो क्या आपको दूसरा पति नहीं मिल सकता? ( वैसे यह विषय सीरियस है..तो मजाक के लिए हम क्षमा चाहतें है।)


.... और फिर अपनी उन कमियों की तरफ भी ध्यान दें... जिनके होते हुए आपके पति दूसरी औरत के चुंगल मे फंसे हुए है।.... उन कमियों के दूर होते ही आपके पति आपको वापस मिल सकतें है और दूसरी औरत वर्तमान से भूत बन सकती है।

14 comments:

Anonymous said...

यानी पति कही भी सो कर रात बिता कर अपना शरीर अपनी भावनाए किसी और के साथ बाँट कर आए आप उसके साथ फिर भी सोयेगी . महान हैं आप की सोच और आप का पत्नी धर्म और उससे भी ज्यादा आप की सामजिक चेतना लाने की कलक . दूसरी औरत और पहली औरत वाह क्या सामजिक वर्गीकरण हैं . जितने दिन पति कही और मुह मार रहा हैं पत्नी दूसरी औरत हो जाती हैं . बहार निकाल फेकिये इसे पति को . अपनी जिन्दगी दुबारा शुरू करिये इस घिसी पीटी स्त्री विरोधी रिती से निकालिये औरतो को अगर आप औरत हैं तो .

Aruna Kapoor said...

मै एक औरत हूं।... मैने दूसरी औरत के चक्कर से दुःखी; एक महिला की आत्मह्त्या के बारे में पढा तो मुझे लगा कि इस विषय की चर्चा होनी जरुरी है।... वैसे सांप भी मरे और लाठी भी नहीं टूटें... मै इस भावना के आधिन भी हूं।... घर को टूटने से बचाकर... दूसरी औरत को कैसे पति के जीवन से बाहर निकाला जा सकता है...यह पहले सोचना जरुरी है।

वैसे मैने आखरी उपाय तो सुझाया ही है कि... सिर सलामत, तो पगडी पचास।... पोस्ट फिर एक बार ध्यान से पढें, धन्यवाद।

Anonymous said...

लेख बहुत तस्सली से पढ़ा पर किसी भी औरत को पहली दूसरी तीसरी वेश्या , बदचलन ये सब नाम अगर एक औरत देती हैं तो पुरूष को शेह मिलती हैं . ये सब तथाकथित नाम केवल और केवल पुरूष के फायदे के लिये हैं और अपमान हैं किसी भी महिला के लिये

Udan Tashtari said...

काफी माइल्ड सलाहें हैँ. :)

राज भाटिय़ा said...

अरे भाई हम क्या सलाह दे यह आनमी जिसे सब जानते है हर जगह अपनी टांग क्यो अडाती है, ना अपना घर बसा पाई ना दुसरे किसी का बसने देगी...
आप के लेख से यह तो सिध हो गया की घर को बसाने वाली ओरत ही है ओर बसे बसाये घर कॊ उजाडने वाली भी ओरत ही है... यानि ओरत ओरत की दुशमन,
धन्यवाद

राज भाटिय़ा said...

आप की राय बिलकुल सही है, अगर घर को बसाना है तो... ओर हर समझ दार मां बाप अपनी बेटी को यही सलाह देगे.
वरना अगर पहला पति जो करे .. तो अनामी के अनुसार आप दुसरी शादी कर ले , फ़िर तीसरी, चोथी... लेकिन अपने अंदर झाक कर मत देखॆ. अपनी बुराई दुर नही करे...

Anonymous said...

ab raj bhatia ji nae keh diya haen ki anam stri hae to maan leejiyae kyuki purush kabhie vyabhichar kae khillaf nahin jaayega aur inka ghar kitna basaa haen yae toh inki patni sae hii pataa lagega . par wo beechari bhi kya kargaeapna ghar hee bachaayegii .

Anonymous said...

aur ek do teen chaar aur uskae allawa anaachar ka theka to purusho kaa hii haen stri beechari to banii hee gandgii doney kae liyae haen

aap inki hii manae esae hee ghar bachaaye aur basaaye , inkae jase nek salaah denae vale bahut mil jayege

Anonymous said...

aur ek do teen chaar aur uskae allawa anaachar ka theka to purusho kaa hii haen stri beechari to banii hee gandgii doney kae liyae haen

aap inki hii manae esae hee ghar bachaaye aur basaaye , inkae jase nek salaah denae vale bahut mil jayege

Aruna Kapoor said...

अनामी जी। लगता है कि जीवन के किसी कटु अनुभव के कारण आपकी सोच नकारात्मक हो गई है।... स्त्री हो या पुरुष... दोनों मनुष्य ही तो है; तो गलति किसी से भी हो सकती है।...गलति को माफ करने की मानसिकता भी होनी चाहिए।... शादी गुड्डा-गुडिया का खेल नहीं है।

राज भाटिय़ा said...

अनामी जी गलत पुरुष भी हो सकता है, ओर ओरात भी... लेकिन यहां हम किसी को गलत या सही नही बल्कि अपना घर बचाने की बात कर रहै है, दोनो मे से कोई भटक गया हो तो उसे केसे वापिस लाया जाये , ना कि रोजाना अपने अपने साथी बदले जाये, तलाक कहना आसान है, लेकिन सहना ओर फ़िर बच्चो के लिये कितना मुस्किल है... यह कोई गुड्डे गुड्डिया का खेल नही जेसा की जायका जी ने लिखा है,

धन्यवाद

आशा जोगळेकर said...

जायका मैं भी तुम्हारे सुझावों से सहमत हूं । घर वैसे भी औरत ही बनाती है और बचाती भी है ।

rajabhau007 said...

कितनी गहरी सोच है आपके विचारोंमे । यह ब्लॉग बहुत ही सुंदर है । May I also request you to visit my another blow wwww.harekrishnaji.blogspot.com

Sunita Aggarwal said...

इस सब में बच्चों के दिल पर क्या गुजर रही होती है उस पर भी ध्यान दें। ये सिर्फ आदमी औरत का मसला नहीं है परिवार का है। ये कदम आदमी उठाए या औरत पूरे परिवार पर प्रभाव पड़ता है और बड़े हो रहे बच्चे कुछ कह नहीं पाते और बहुत से कॉम्पेलेक्स से ग्रसित हो जाते हैं।