Sunday 27 January 2008

'TOM AND JERRY ShOW' Part-13

जायका के घर में...
'TOM AND JERRY SHOW'..Part-13


नामिका की नज़र सबसे पहले मेरे उपर ही पड़ी. वह लाल लाल आंखों से मुझे घुर ही रही थी कि मेरा पिल्ला 'Lovely' डायनिंग टेबल से एकदम से कूद कर मेरे उपर आ गिरा। मैने उसे अपने दो हाथों मे संभालते हुए कहा...


" Lovely, अब तुम खाना खा चुके हो...चलो अब घर चलतें है!" कहते हुए उसे मै दुलारने लगी.यह् देख कर नामिका की आंखों की लाली कुछ कम हो गई, समझा लो कि गुलाबी हो गई....


"तुम यहां क्या कर रही हो जायका?...तुम्हें तो इस समय अपने घर पर होना चाहिए...तुम्हारे घर पर तो' TOM AND JERRY SHOW ' चल रहा है..."नामिका ने हैरानी से मेरी तरफ देखे हुए पूछा।


नामिका का मोर्चा मेरी तरफ है...इस मौके का फायदा उठा कर डब्बू ने कांच की टूटी हुई प्लेट के टूकडे उठा कर डस्टबिन में फेंक दिए और डायनिंग टेबल भी कपड़े से साफ कर दिया. वाकई डब्बू एक कुशल रसोईया था. मै मन ही मन सोचने लगी' काश! कि डब्बू को मै अपने Lovely के साथ अपने घर पर रख सकू!'


" क्या बात है जायका?...क्या सोच रही हो? मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया अब तक!" नामिका अब तक कुर्सी अपनी तरफ खिंच कर, डायनिंग टेबल पर एक हाथ रख कर बैठ भी गई थी.


" हम क्या कर रहे है यहां?..अरे वाह! हम तो जानेमन,...तेरी ही राह देखते हुए कबसे यहां समय गुज़ार रहे है. क्या अब घर जाया जाए?..." मैने अपनी रिस्टवॉच में नज़र गड़ाई...वैसे तिरछी नज़र तो डब्बू के चेहरे पर ही टिकी हुई थी.


"नहीं...लेकिन क्या तू डर रही है जायका?" नामिका ने पूछा.


..यहां अगर हम चूहों से डरने लगे तो हो गई छुट्टी! लेकिन अब 'डर रहे है' यह दिखाना भी तो लाजमी था...नहीं तो गडबड भी हो सकती थी.


" मुझे तो सचमुच ही डर लग रहा है. क्या तू मेरे साथ नहीं चल रही! खैर!उस धामी का ही मोबाईल नंबर दे दे मुझे! उसे अपने साथ अपने घर ले चलूँ!" कहते हुए हमने पर्स में से अपना मोबाईल बाहर निकाला।


" अहं जायका! मेरा काम बन गया!...धामी तो अब यहां मेरे साथ रहने आ रहा है. वह मोटवानी के घर अपना सामान लेने गया है. थोड़ी देर में पहुंचने वाला ही होगा. मुझे तो डब्बू की चिंता थी कि वह कहां जाएगा?..अब तू ऐसे कर डब्बू को अपने साथ अपने घर ले जा...क्यों डब्बू?...कैसा इंतज़ाम है?"नामिका ने टेबल पर पड़ा हुआ पानी का गिलास उठा कर मुंह से लगाया.पानी मेरे 'Lovely' का जूठा था....लेकिन पानी तो नामिका गटक गई थी। मै और डब्बू अब एक दूसरे की शकल देख रहे थे.

" ठीक है; मैं जायका के घर चला जाता हूं...अब वापस तेरे यहां कभी नहीं आऊँगा!...by, by नामिका !" कहते हुए डब्बू ने अपनी अटैची उठा ली और हमारा हाथ पकड़ कर हमें घसीटता हुआ दरवाजे से बाहर आ गया।


"रुको भाई! इतनी जल्दी भी क्या है?... मै कार में छोड़ आती हूं तुम दोनों को!..." नामिका हमारे पीछे पीछे आ रही थी।


" नहीं! हम पैदल ही चले जाएंगे!..क्यों जायका?"...डब्बू अब एक मर्द की भाषा बोल रहा था; जो हमें बेहद पसंद थी!

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