Wednesday 9 January 2008

TOM AND JERRY SHOW Part-9

जायका के घर में...
'TOM AND JERRY SHOW'..Part-9

...सचमुच ही आफ़त खड़ी हो गई . हमारी बेवकूफी ने यहाँ भी अपना रंग दिखा ही दिया... हमने अपने पांव पर हमेंशा की माफ़िक पत्थर मार ही लिया। आदत से मज़बूर जो थे! हमें क्या जरुरत थी यह बतानेकी कि नामिका की शादी डब्बू हलवाई से होने जा रही है? डब्बू क्या हमारा चाचा लगता था?..... या जिसके सामने हमने नामिका की पोल खोली वो धामी हमारा मामा लगता था?....


...मोटू उर्फे मोटवानी तो हमारे हाथ से फिसल ही गया था...धामी तो हमें एक Cartoon से ज्यादा कुछ नहीं समझ रहा था और हमारी हमेशा मुसीबत में काम आने वाली friend नामिका को हमने नाराज़ कर दिया था! ...अब हमें चिंता खाए जा रही थी कि हमारे घर में चल रहे TOM AND JERRY SHOW का क्या होगा?


" अब कभी मुझे अपनी शकल मत दिखाना, समझी?" नामिका ने पहले काफी लंबा लेक्चर सुनाने के बाद हमें लेक्चर कि आख़िरी लाइन सुनादी। हम चुप-चाप सुने जा रहे थे।

" नामिका, अब बस भी कर! ज़ायका ने यही कहा न कि तेरी शादी डब्बू से होनेवाली है? ....ये तो नहीं कहा कि हो चुकी है? ....अब तो मैं कोलकाता से वापस आ गया हूँ! अब डब्बू से क्या लेना देना? ..." ये कहकर धामी ने हमें काफी राहत पहुंचाई। हम मान गए धामी को....

" लेकिन डब्बू इतना अच्छा खाना बनाता है कि...मैं उसे कैसे छोड़ सकती हूँ?" नामिका ने अपनी problam धामी को समझाई।

" खाना तो अब मैं भी अच्छा बनाना सीख गया हूँ... मैं भी नौकरी की ही तलाश में हूँ! मैं अभी तो मोटवानी के घर पर ही रह रहा हूँ! कितना अच्छा खाना बनाता हूँ, उसीसे पूछ ले नामिके! .... क्या ये ज़ायका कहीं नौकरी करती है? या मेरी माफ़िक ही है?" धामी ने अपने आप को डब्बू के साथ मिलाते हुए हमारे बारे में भी पूछ लिया.....

" हाँ! ये जायका और मैं एक ही ऑफिस में काम करती है... इसकी तनख्वाह मेरे से डबल है... पर छोड़ धामी dear! ... ये बहुत ही कंजूस है, मक्खीचूस है!" नामिका को धामी का हमारे बारे में पूछना नागवर गुज़रा!


" ये क्या तेरे घर के पास ही रहती है?" धामी हमारी आंखों से आँखे मिलाता हुआ बोला। हमने भी शरमाने का नाटक किया। हम पहले स्कूल और बादमें कोलेज में कई नाटक खेल चुके थे....हमें कई इनाम भी मिले हुए थे।

" ज़ायका के घर में एक बहुत बड़ी मुसीबत डेरा जमाए हुए है। हमें अब जल्दी तेरे घर चलाना चाहिए नहीं जायका!" नामिका आँखे मीच-मिचा कर हमें इशारा करती हुई बोली।

" इतनी भी कोई जल्दी नहीं है; यहीं कुछ देर और धामी के साथ बैठ कर..." हमारा बोलना बीच में ही कांट कर नामिका ने धामी से कहा...

"अब हम चलते है धामी darling! कल शाम यहीं पर मिलते है..."

" ठीक है... सोच लेना, खाना मैं भी बहुत बढ़िया बनाता हूँ...कल जायका को भी साथ ले कर आना यहाँ...by, by, I love you..." कहते हुए धामी ने नामिका को अपनी तरफ खिंचा। हमने दूसरी तरफ मुँह घुमा लिया।...पर हमें kiss करने की आवाज तो आ ही गई! हम कान में उंगली डालना भूल गए थे!

1 comment:

Amit K Sagar said...

aap bahut achhaa likhtee ho...keet up.
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aaj kee date kaa saara santulan aapkee lekhnee mein...jiske chalne-daudane kee ummeed kee jaa saktee hai...shesh fir.
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take care