Sunday 16 November 2008

धड़ाम से गिर गया शेर

धड़ाम से गिर गया शेर.... आपने आवाज सुनी?


मैंने तो सुनी! ... इंटरनेशनल धमाका था! ... मुझे लगता है, बहरों को भी सुनाई पड़ा होगा! चारों ओर हाहाकार मच गया!... जैसे सुनामी आ गई; जैसे बम-ब्लास्ट हुआ; जैसे भूचाल आ गया, जैसे डमरुवाले बाबा ने तांडव शुरू किया; जैसे पृथ्वी से मंगल आ कर टकराया!.... कोई कुछ समझ बैठा, तो कोई कुछ!


सुननेमें यह भी आया कि कुछ लोगों को बहुत खुशी हुई.... इसलिए कि उन्होंने शेर मार्किट में टके लगाए नहीं थे!... हो सकता है कि उनके पास लगाने के लिए थे ही नहीं ....लेकिन यह तो अंदर की बात है!.... यह लोग लड्डू-पेढे बाट्तें देखे गए!... दूर क्या जाना.... हमारे पड़ोसी ही -शायद पहली बार - हमारे यहाँ मिठाई का डिब्बा लेकर पधारें!... बहाना तो पप्पू के पास होने का था!.... जब कि हम जानतें है कि पप्पू ने हाल ही में कोई परीक्षा नहीं दी है!


...तो शेर गिर गया !.... कुछ लोगों ने बहती गंगा में नहाना मुनासिब समझा! .....जिन लोगों के 20से 50 हजार रुपये शेरने निगले हुए थे; वे बोल रहे थे कि वे 50लाख गवां बैठे !.... एक शेर मार्किट के पुराने खिलाडी .... जिनको हम जानतें है और मानतें है कि .... उनके 20लाख जरुर शेर निगल गया होगा!.... वे लोगों को कहतें फ़िर रहे है कि उन्हें 2 करोड़ का फटका लगा!....अब ऐसे में कई लोग अपने आप को मालदार साबित करने में लगे हुए है ; तो हम क्या करें?


... कुछ कमजोर दिल के लोग .... इतना बड़ा हादसा सहन नहीं कर पाने की वजह से बेहाल हो गए और समाज से कटकर रह गए है!.... कुछेक लोगों की आत्महत्या करने की खबरें भी आ रही है... उनके लिए हमें बेहद अफसोस है!.... काश कि वे इतना बड़ा कदम न उठातें!


... यह तो इंटरनेशनल धमाका है.... शेर के गिरने से जंगल में ....याने कि मार्किट में ..... हायतौबा मची हुई है!... सभी उद्योग-धंदों पर मंदी के बादल छाये हुए है!.... हमें तो दुःख इस बात का है कि .... टी.वी। पर से विज्ञापनों की भीड़ छट गई है!


... तो देखा?...शेर ने गिरकर भी हमारा कुछ नहीं बिगाडा,... फ़िर भी हम कितने दुखी है?....उम्मीद पर दुनिया कायम है!.... हम उम्मीद करतें है कि शेर फ़िर से पेड़ की चोटी पर नजर आए!

6 comments:

राज भाटिय़ा said...

क्या बात है बहुत सुंदर लेख लिखा आप ने, लेकिन हम जुआ कभी नही खेलते... इस लिये इन कामो से दुर ही भले.
धन्यवाद

Aruna Kapoor said...

Hum bhi to door hi rehaten hai sir!....tabhi to dhadalle se itana likh paayen!....upasthiti ke liye dhanyawad!

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

भाई...शेर गिरेगा तो बतंगड़ तो होगा ही.....और बतंगड़ बनता ही कैसे है......ऐसे ही.....अच्छा लिखा है आपने....

अभिषेक मिश्र said...

शेर है, आज गिरा है तो कल उठेगा भी. उस दिन के लिए भी तैयारी कर लें. शुभकामनायें.

प्रदीप मानोरिया said...

गंभीर और अद्भुत चिंतन के लिए मेरा वंदन स्वीकार करें अद्भुत शब्द प्रवाह
हर बार की तरह लाज़बाब
बहुत सुंदर प्रस्तुति

Satish Saxena said...

आपका अंदाज़ पसंद आया ! :-)